कोलकाता :पश्चिम बंगाल में पहले से ही सवाल उठ रहे हैं कि क्या ममता बनर्जी मुख्यमंत्री के रूप में अपना तीसरा कार्यकाल हासिल करने में कामयाब होंगी. या उनकी दीदी को फिर से कुर्सी पर देखने का तृणमूल कांग्रेस का सपना इस बार भगवा खेमे की लहर में बिखर जाएगा.
यद्यपि चुनाव आयोग ने इस बात पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें बंगाल चुनावों को एक महीने में आठ-चरणों तक लंबा न खींचने का संकेत था. राज्य के राजनीतिक हलकों द्वारा यह माना जा रहा है कि चुनावे के दिन हिंसा की आशंका काफी हद तक है. अन्य विपक्षी दलों को सहित स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आयोग को ऐसा कठोर कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है.
राज्य में अब तक के सबसे लंबे चुनावों की घोषणा करने के अलावा शुक्रवार को चुनाव आयोग ने एक और बड़ा फैसला लिया. जोकि कोलकाता, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, पश्चिम मिदनापुर, हुगली और पूर्वी मिदनापुर जैसे बड़े जिलों में मतदान को एक से अधिक चरण में विभाजित करना है. शहर के एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि यह पहली बार हुआ है. आमतौर पर हमें एक ही दिन एक जिले के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव कराने की प्रक्रिया की आदत होती है. इस आठ चरण के मतदान के फैसले ने स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को परेशान किया है.
उन्होंने दावा किया कि आठ-चरण का मतदान पश्चिम बंगाल के लोगों का अपमान करना है. उन्होंने कहा कि यह भाजपा नेतृत्व की इच्छा के अनुसार किया गया है. दक्षिण 24 परगना जैसे जिलों के लिए जानबूझकर मतदान को चरणों को विभाजित किया गया है क्योंकि ये जिले हमारे गढ़ हैं. हालांकि हम डरते नहीं हैं क्योंकि हमें बंगाल के लोगों पर विश्वास है. जो लोकतांत्रिक तरीके से इसका जवाब देंगे.