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धामी मंत्रिमंडल का गठन, 8 विधायकों ने ली मंत्री पद की शपथ, तीन नए चेहरे शामिल

उत्तराखंड में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दूसरे कार्यकाल का शपथ ग्रहण हुआ. इसमें सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. महिला मंत्री के रूप में केवल रेखा आर्य को जगह दी गई है जबकि सौरभ बहुगुणा, प्रेम चंद अग्रवाल और चंदन राम दास के रूप में तीन नए चेहरे भी शामिल किए गए हैं (Dhami Sarkar 2.0).

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धामी मंत्रिमंडल का गठन

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Published : Mar 23, 2022, 5:22 PM IST

देहरादून :पुष्कर सिंह धामी ने आज उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उन्हें राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (रि) ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद रहे. मुख्यमंत्री के साथ पुष्कर सिंह धामी के साथ 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. धामी मंत्रिमंडल में इस बार चंदन राम दास, प्रेमचंद अग्रवाल, सौरभ बहुगुणा को जगह दी गई है. जबकि धन सिंह रावत, सुबोध उनियाल, गणेश जोशी, सतपाल महाराज, रेखा आर्य को फिर से कैबिनेट में रिपीट किया गया है.

रिपीट किए गए ये चेहरे-धन सिंह रावत: धन सिंह रावत अपने कार्य करने की शैली के प्रसिद्ध हैं. इनका जन्म 7 अक्टूबर, 1971 के दिन गढ़वाल जिले के नौगांव नामक गांव में हुआ था. साल 1989 में ही धन सिंह रावत ने स्वयंसेवक के रूप में आरएसएस ज्वाइन की थी. अपनी जवानी के दिनों में धन सिंह ने छुआछूत व्यवस्था, बाल विवाह और शराब के खिलाफ अभियान चलाया था.उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए चलाए गए आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. इस दौरान उन्हें दो बार जेल भी हुई थी.

अपने छात्र जीवन में ABVP के सदस्य रहते हुए रावत ने 100 कॉलेज में 100 पेड़ लगाए थे, उत्तरकाशी और चमोली में भूकंप आने के बाद भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में 60 दिन गुजारे थे और इस दौरान लोगों की मदद की थी. रावत ने इतिहास विषय में MA किया है और राजनीति विज्ञान में पीएचडी की है. वे 2017 में पहली बार विधानसभा पहुंचे. इस बार भी वे श्रीनगर विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. वो पार्टी के शीर्श नेताओं में शामिल हैं.

सुबोध उनियाल:कभी कांग्रेस (Congress) का चेहरा रहे सुबोध उन‍ियाल प‍िछले कुछ समय से बीजेपी का भरोसा बने हुए हैं. उत्तराखंड सरकार में कैब‍िनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्‍ता की ज‍िम्‍मेदारी न‍िभा चुके सुबोध उन‍ियाल पर फिर से पार्टी ने भरोसा जताया है. वो नरेंद्र नगर व‍िधानसभा सीट से जीतकर आए हैं. सुबोध उनियाल का जन्म 26 जुलाई 1960 को ट‍िहरी के नरेंद्रनगर में हुआ था. उन्‍होंने 12वीं की श‍िक्षा स्‍थानीय स्‍कूल से ली. इसके बाद उन्‍होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इंजीनियर‍िंग की.

उन‍ियाल 1978 में ही राजनीत‍ि में सक्र‍िय हो गए थे. इसके बाद उनियाल हेमवती नंदन बहुगुणा के संपर्क में आए. हेमवती नंदन बहुगुणा ने सुबोध उनियाल की सामाजिक सक्रियता को देखते हुए उन्हें राजनीत‍ि में आगे बढ़ाया. हालांक‍ि, इसके बाद वह 1984 से 1989 तक युवा लोकदल उत्तर प्रदेश के महामंत्री भी रहे. 1989 में यूथ कांग्रेस में उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष बने. 2002 में अलग उत्तराखंड बनने के बाद सुबोध उनियाल को कांग्रेस प्रदेश महासचिव की ज‍िम्मेदारी दी गई. वह 2012 में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे.

सतपाल महाराज:चौबट्टाखाल सीट से सतपाल महाराज ने जीत दर्ज की है. वो 2017 में बीजेपी सरकार में कैबि‍नेट मंत्री रह चुके हैं. इससे पहले तक वह कांग्रेस में थे. सतपाल महाराज आध्यात्मिक गुरू भी हैं. महाराज केंद्र की देवेगौड़ा और गुजराल सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं. धामी सरकार में वे कैबिनेट मंत्री थे. अब उन्हें फिर से जिम्मेदारी दी गई है.

रेखा आर्य: बीजेपी सरकार की एकमात्र महिला मंत्री हैं, जो अल्मोड़ा की सोमेश्वर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करती हैं. पिछली बीजेपी सरकार में भी रेखा आर्य इकलौती महिला मंत्री के रूप में सरकार में शामिल थीं. 2003 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य बनीं. 2012 में उन्होंने सोमेश्वर विधानसभा से चुनाव लड़ा. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, तब वो दूसरे नंबर पर रहीं. उसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गईं. 2014 में सोमेश्वर विधानसभा से रेखा आर्या ने कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव लड़ा, तब उन्होंने जीत हासिल की. 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रेखा आर्या बीजेपी में शामिल हो गईं. बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचीं. बीजेपी ने उन्हें राज्य मंत्री बनाया. धामी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया. अब एक बार फिर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.

गणेश जोशी: जोशी मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले हैं. उनका जन्‍म 1958 में मेरठ में हुआ था. मेरठ में उनके पिता स्वर्गीय श्याम दत्त जोशी भारतीय सेना के जवान के रूप में तैनात थे. गणेश जोशी 1976 से 1983 तक एक सैनिक के रूप में भारतीय सेना में रहे. वर्तमान में वे देहरादून के कालीदास रोड स्थित आवास में रहते हैं. वो मसूरी से विधायक हैं, यहां से लगातार जीत दर्ज करते रहे हैं. धामी के पहले कार्यकाल में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था.

नए चेहरों को जानिए-प्रेमचंद अग्रवाल:प्रेमचंद अग्रवाल चौथी विधानसभा में स्पीकर थे. स्पीकर पद के चुनाव की नामांकन प्रक्रिया में एकमात्र नामांकन उन्होंने ही किया था. तत्‍कालीन प्रोटेम स्पीकर हरबंस कपूर ने सदन में उनके स्पीकर बनने की घोषणा की थी. ऋषिकेश से लगातार तीन बार के विधायक अग्रवाल 2015 में उत्तराखंड के सर्वश्रेष्ठ विधायक भी चुने गए थे. संघ पृष्ठभूमि के अग्रवाल छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे. उनके पिता मांगेराम के मार्गदर्शन ने उन्हें संघ शाखा में जाने को प्रेरित किया. प्रेमचंद अग्रवाल उत्तराखंड आंदोलन में भी शामिल रहे.

वर्ष 2007 में वह ऋषिकेश विधानसभा से पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते. सरकार ने उन्हें संसदीय सचिव की जिम्मेदारी दी. 2012 में फिर भाजपा के टिकट पर विजयी रहे. वर्ष 2015 में राज्य सरकार ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक प्रेमचंद अग्रवाल का सम्मान भी दिया. 2017 के चुनाव में तीसरी बार ऋषिकेश के विधायक बने. अग्रवाल ने एमकॉम और एलएलबी किया है. वह वालीबॉल के खिलाड़ी रह चुके हैं. छात्र जीवन में उन्होंने कई राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया. राजनीतिक प्रोफाइल पर नजर डालें तो प्रेमचंद अग्रवाल वर्ष 1995 में देहरादून जिलाध्यक्ष बने. भाजपा सरकार के समय वह गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष भी रहे.

चंदनराम दास: बागेश्वर के चार बार के विधायक चंदनराम दास पहली बार उत्तराखंड कैबिनेट में शामिल हो गए हैं. उन्होंने 2007 में अपना पहला चुनाव लड़ा. बागेश्वर सीट से ही विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद चंदन राम दास लगातार विधायक चुनते आ रहे हैं. मंत्री चंदन राम दास अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट विधानसभा के बिचलादौरा विकासखंड के ग्राम कांडे सुरईखेत पट्टी में 10 अगस्त 1957 में जन्मे चंदन राम दास के पिता का नाम स्वर्गीय रतन राम एवं माता का का नाम स्वर्गीय पार्वती देवी था. माध्यमिक व उच्च शिक्षा एमबी इंटर कॉलेज व एमबी डिग्री कॉलेज हल्द्वानी नैनीताल में हुई. 1980 से 1997 तक विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं के साथ जुड़कर शिक्षा के क्षेत्र में समाज कल्याण के क्षेत्र में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग के लिए संघर्ष किया. 1997 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नगर पालिका परिषद बागेश्वर के अध्यक्ष के रूप में चुनाव जीता. 5 साल बागेश्वर में अभूतपूर्व कार्य किए, जिसे आज भी लोग याद करते हैं.

सौरभ बहुगुणा:सितारगंज विधानसभा सीट से विधायक हैं. वे पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे हैं. सौरभ लगातार दूसरी बार सितारगंत से विधायक चुने गए हैं. मंत्रिमंडल में उनकी पहली बार एंट्री हुई है. सौरभ के दादा हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तर प्रदेश और पिता विजय बहुगुणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे. विजय बहुगुणा मार्च 2012 से जनवरी 2014 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे. सौरभ बहुगुणा ने 2017 में पहली बार सितारगंज से चुनाव जीता. इस बार भी वह वह सितारगंज से विधायक चुने गए हैं.

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