हैदराबाद : ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (Eid-e-Milad-un-Nabi), पैगंबर मुहम्मद की जयंती (birth anniversary of Prophet) है. यह इस्लामिक कैलेंडर (Islamic calendar) के तीसरे महीने में दुनिया भर में मनाई जाती है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और उपमहाद्वीप के अन्य हिस्सों में आज ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाई जा रही है.
सुन्नी और शिया संप्रदाय अलग-अलग दिनों में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाते हैं. इस दिन रोशनी, सजावट, विशेष भोजन और एक दूसरे को मिलाद-उन-नबी मुबारक दी जाती है. यह मुसलमानों के लिए बड़ा दिन है.
इस साल 2021 में इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 19 अक्टूबर को ईद मिलाद-उन-नबी मनाई जाएगी.
इस दिन, लोग दीप जलाते हैं और अपने घरों और मस्जिदों को सजाते हैं और रात भर प्रार्थना सभा करते हैं. परंपरा के अनुसार हर साल लोग इकट्ठा होते हैं और पैगंबर के जन्म के आगमन को याद करते हैं और पैगेंबर मोहम्मद के जीवन, कार्यों और शिक्षा के बारे में कहानियां सुनाते हैं.
इस दिन को आम तौर पर सार्वजनिक समारोहों, दावत और परिवार के मिलन की तैयारी के साथ चिह्नित किया जाता है. त्योहार दान और जरूरतमंदों की मदद (donations to the needy) करने पर केंद्रित है. इसलिए, परिवार दावत को वंचितों के साथ साझा करते हैं और जरूरतमंदों को दान देते हैं. चूंकि यह दिन पैगंबर की पुण्यतिथि (death anniversary ) का भी प्रतीक है, इसलिए इसे शुरू में मिस्र में एक आधिकारिक त्योहार (official festival in Egypt) के रूप में मनाया जाता था और 11 वीं शताब्दी के दौरान लोकप्रिय हो गया.
उस समय, केवल शिया मुसलमानों द्वारा त्योहार मनाते थे. यह त्यौहार 12वीं शताब्दी तक सीरिया, मोरक्को, तुर्की और स्पेन में फैल गया.