नई दिल्ली : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास, वेल्लोर प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई और लंदन के क्वीन मेरी विश्वविद्यालय ने कोरोना वायरस और टीबी जीवाणु को फैलने से रोकने के मकसद से क्रांतिकारी वायु स्वच्छता प्रणाली विकसित करने के लिए साथ काम करना तय किया है.
ब्रिटेन की रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (आरएईएनजी) परियोजना का प्रमुख प्रायोजक होगा और वायु स्वच्छता समाधान प्रदाता मैग्नेटो क्लीनटेक एकमात्र उद्योग साझेदार होगा.
शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारियों के अनुसार, इस संयुक्त शोध का उद्देश्य अपनी अधिक आबादी और शहरी क्षेत्रों के भारी प्रदूषण से जूझ रहे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए भीतरी वातावरण में वायुजनित रोगों को रोकने के लिए एक मजबूत एवं कम लागत वाली जैव-एयरोसोल सुरक्षा प्रणाली विकसित करना है.
अधिकारियों ने कहा कि 'पराबैगनी-सी' विकिरण का प्रयोग करते हुए, परियोजना की परिकल्पना एक क्रांतिकारी वायु निस्पंदन प्रणाली की प्रयोगात्मक प्रमाण-अवधारणा विकसित करने के लिए की गई है. इस प्रणाली में उपलब्ध फिल्टरों की तुलना में रखरखाव लागत को कम करते हुए वायरस और अन्य वायुजनित रोगजनकों को खत्म करने की प्रभावशीलता बढ़ाने की मजबूत क्षमता है जो भारत जैसे विकासशील देशों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव है.