नई दिल्ली : कोरोना टीका ट्रायल के तीसरे चरण के परिणाम सामने आने लगे हैं. सोमवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तीसरे चरण में लगाए गए टीके के अंतरिम परिणाम प्रस्तुत किए गए हैं. परिणाम से यह पता चलता है कि वैक्सीन कोविड-19 को रोकने में प्रभावी है. यह टीका घातक वायरस से सुरक्षा प्रदान करता है.
कोरोना का यह टीका एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड दोनों ने मिल कर बनाया है. इस वैक्सीन के दो डोज को 70 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है. खास बात यह है कि रिसर्चर्स कह रहे हैं कि डोज की मात्रा बदलने पर वैक्सीन और असरदार साबित हो रही है. जब वैक्सीन की पहली डोज आधी और दूसरी डोज पूरी रखी गई, तब वैक्सीन 90% तक असरदार रही.
दवा बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने सोमवार को घोषणा की कि युनाइटेड किंगडम और ब्राजील में हुए कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षणों से ये पता चला है कि उसकी बनाई वैक्सीन कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए यह काफी असरदार है. वैक्सीन लगाने वाले किसी भी प्रतिभागी में कोई भी प्रतिकूल असर नहीं देखा गया.
विश्लेषण में कुल 131 कोविड-19 मरीज शामिल थे. एजेडडी 1222 की आधा खुराक 90 प्रतिशत तक प्रभावी पाई गई. इसके बाद कम से कम एक महीने बाद पूरी खुराक दी गई. एक अलग ट्रायल में एक महीने के अंतराल पर दो खुराक दी गई, जो 62 फीसदी तक कारगर साबित हुR. दोनों को साथ जोड़कर विश्लेषण करने पर पता चला कि ये वैक्सीन 70 फीसदी तक प्रभावी है.
सभी परिणाम सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण थे. इस बारे में और डेटा इकट्ठा किया जा रहा है और फिर से विश्लेषण किया जाएगा. एक स्वतंत्र डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड ने तय किया कि इस विश्लेषण से साबित हुआ कि कोविड-19 से संक्रमण के 14 दिन तक दोनों तरह के खुराक देने से इस वायरस से सुरक्षा मिली. टीका से संबंधित कोई गंभीर खतरे की पुष्टि नहीं की गई है.
एस्ट्राजेनेका अब दुनियाभर के अधिकारियों को अपना डेटा सौंपेगी, ताकि इसे इस्तेमाल करने की इजाजत मिल जाए. कंपनी कम आय वाले देशों में टीके की उपलब्धता कराने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन से उसे आपातकालीन इस्तेमाल की उपयोग सूची में डालने की मांग करेगी. साथ ही, अंतरिम परिणामों का पूर्ण विश्लेषण प्रकाशन के लिए भी भेजेगी.