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30 साल बाद मंगल और शनि की युति बना रही दरिद्र योग, 30 जून तक इन राशियों को देखने होंगे बेहद बुरे दिन - शनि ग्रह का प्रभाव

ग्रहों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है. इनकी चालों का असर हमारे जीवन पर पड़ता है. इसके अच्छे और बुरे दोनों परिणाम हो सकते हैं. एक ऐसी ही युति 30 साल बाद शनि और मंगल की बन रही है, जिससे उथल-पुथल मच जाएगी.

वाराणसी
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Published : May 15, 2023, 1:06 PM IST

वाराणसी: सनातन धर्म में ग्रहों का बहुत महत्व होता है और ग्रहों की चाल से सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक जीवन पर भी बड़ा असर पड़ता है. कुछ ग्रह ऐसे हैं, जिनकी टेड़ी चाल बहुत से लोगों को मुसीबत में डाल देती है. खासतौर पर कर्मफल दाता शनि और मंगल इन राशियों का एक ऐसा संयोग 30 साल बाद बना है, जो देश और समाज में तो बड़ा उथल-पुथल मचाएगा ही, साथ ही साथ कई राशियों पर भी अपना बुरा असर डालेगा या यूं कहिए इन राशियों के लिए आने वाले कुछ महीने बेहद ही संभलकर रहने वाले होंगे.

इस बारे में आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि मंगल गोचर कर्क राशि में 10 मई (बुधवार) से शुरू हो गया. अगले 53 दिनों तक मंगल इसी राशि में रहेगा और भारी खलबली मचाएगा. इसके साथ ही मंगल का शनि के साथ षडाष्टक योग बनेगा. साथ ही राहु, गुरु, बुध और सूर्य मंगल से दसवें घर में होंगे.

आचार्य के मुताबिक, मंगल का शनि के साथ षडाष्टक योग साथ ही राहु, गुरु, बुध और सूर्य मंगल से दसवें घर में होंगे. कुंडली में दशम भाव राजसत्ता का माना गया है. जहां से भारत आ जाता है. दशम भाव पर राहु, गुरु, बुध, सूर्य की युति सत्ता में उतार-चढ़ाव, साथ में शनि और मंगल की युति किसी विशेष व्यक्ति की मृत्यु का भी सूचक है. किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति की प्रतिष्ठा दांव पर लग सकती है और साथ-साथ में हिंसा में वृद्धि होगी. सीमाओं में तनाव हो सकता है. उनके मुताबिक, जब मंगल और शनि एक दूसरे को देखते हैं तो ऐसी स्थितियों में बहुत कुछ और चढ़ाव होता है. भारत वर्ष के लिए भी स्थितियां तनावपूर्ण हो जाती हैं. साथ ही राजनीतिक स्थितियां के भी परिवर्तित होने का संपूर्ण योग रहता है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक ग्रह समय-समय पर गोचर करते हैं और कई शुभ-अशुभ योग का निर्माण करते हैं. इसका असर पृथ्वी और मानव जीवन पर सीधे तौर पर पड़ता है. इसी क्रम में मंगल 10 मई 2023 की दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर अपनी नीच राशि कर्क में गोचर कर चुका है और इस गोचर के दौरान दरिद्र योग का निर्माण हुआ है. यह एक अशुभ योग माना जा रहा है. यह योग असफलता, कमजोर भाग्य और आर्थिक असफलता का कारण बनता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में दरिद्र योग बन जाए तो व्यक्ति को कई सारी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. कई बार ऐसे लोगों के बने बनाए काम बिगड़ भी जाते हैं. मंगल के गोचर से बनने वाले दरिद्र योग चार राशियों के लिए जुलाई तक परेशानी खड़ी कर सकता है.

दरिद्र योग का निर्माण तब होता है, जब दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी अपनी नीच राशि में या छठे, आठवें और बारहवें भाव में स्थित हों. दूसरा भाव धन, संपत्ति और आय का भाव है. वहीं, ग्यारहवां भाव समृद्धि, पैतृक संपत्ति, लाभ, आय, दोस्त, बड़े भाई या बहन और इच्छाओं की पूर्ति को दर्शाता है. ज्योतिष में छठे, आठवें या बारहवें भाव को त्रिक भाव कहते हैं. इन भावों में ग्रहों की मौजूदगी कमज़ोर मानी जाती है. ऐसे में जब दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी इन भावों में या अपनी नीच राशि में विराजमान होते हैं तो ये जातकों को आर्थिक जीवन में कई समस्याएं दे सकते हैं और जातक को पैसे कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है.

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण का कहना है कि षडाष्‍टक योग को ज्‍योतिष में बेहद अशुभ माना गया है. मंगल और शनि के कारण षडाष्‍टक योग का निर्माण 30 साल बाद हो रहा है. चूंकि अशुभ मंगल हिंसा व क्रोध बढ़ाता है. वहीं, अशुभ शनि दुख और दरिद्रता देता है. कर्क राशि में मंगल देव लगभग 53 दिनों तक रहेगा. चार राशियों को 30 जून 2023 तक विशेष रूप से सतर्क रहना होगा.

इन राशियों के जातकों को रहना है सावधान

मिथुन राशि वालों के लिए मंगल छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और यह आपके दूसरे भाव में गोचर करेगा. ग्यारहवें भाव का स्वामी दूसरे भाव में नीच का होने जा रहा है और यह सभी महत्वपूर्ण भावों को प्रभावित करेगा. ऐसे में दरिद्र योग से सबसे ज्यादा मिथुन राशि के जातकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस दौरान आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है और बचत कर पाना आपके लिए मुश्किल हो सकता है. आशंका है कि आपका पैसा या बिजनेस में कोई बड़ी डील किसी कारणवश अटक जाए. इस अवधि में आपके पैसों का लेन-देन अधिक हो सकता है और आप अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धो सकते हैं. हो सकता है कि पैतृक संपत्ति से जुड़ा कोई मुकदमा आपके पक्ष में न हो. इसके अलावा दोस्तों, बड़े भाई-बहनों से आपका विवाद हो सकता है. इससे आपके संबंध खराब हो सकते हैं और मन की शांति भंग हो सकती है.

तुला राशि के जातकों के लिए मंगल दूसरे भाव और सातवें भाव का स्वामी है और दसवें भाव में यह नीच का होगा. इसके परिणामस्वरूप आपके बॉस या अन्य लोगों के साथ आपके संबंध बिगड़ सकते हैं. इस दौरान वेतन वृद्धि में और देरी होने की आशंका है या हो सकता है कि सैलरी में इंक्रीमेंट अपेक्षाओं के अनुरूप न हो. दरिद्र योग के परिणामस्वरूप आपके खर्चे जरूरत से ज्यादा बढ़ सकते हैं. इसके अलावा आप कार्यक्षेत्र में होने वाले राजनीति का शिकार भी हो सकते हैं, जोकि आपके लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा और इसके कारण आपको नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. जो लोग नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं, उन्हें इस समय अच्छे परिणाम मिलते नज़र नहीं आ रहे हैं. इसके कारण आप चिंतित हो सकते हैं. इस अवधि में उधार पैसा देने से बचें. क्योंकि, संभव है कि वापस न मिले. इस दौरान आपका वैवाहिक जीवन भी अनुकूल प्रतीत होता नहीं दिख रहा है.

मकर राशि के जातकों के लिए मंगल चौथे और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और यह आपके सातवें भाव में नीच का होगा. खुद का व्यापार करने वाले जातकों के लिए यह समय प्रतिकूल सिद्ध हो सकता है. क्योंकि बिज़नेस में हानि होने की संभावना बन सकती है. यदि आपने हाल ही में एक नया व्यापार शुरू किया है तो हो सकता है कि इस दौरान आपको अपेक्षानुसार परिणाम न मिलें. ऐसे में आपको सलाह दी जाती है कि अपने व्यवसाय या निवेश करने में अधिक पैसा न लगाएं. यदि आप जमीन, संपत्ति या वाहन आदि खरीदने की सोच रहे हैं तो यह योजना अभी टाल दें. क्योंकि, इसमें आपको हानि होने की प्रबल संभावना है. जितना हो सके इस दौरान बचत करें और सोच समझकर खर्च करें. वैवाहिक जीवन की बात करें तो इस अवधि में मधुर संबंध बनाए रखने में आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. रिश्ते में आपसी तालमेल की कमी के कारण जीवनसाथी के साथ वाद-विवाद होने की आशंका है.

मीन राशि के जातकों के लिए मंगल दूसरे भाव और नौवें भाव का स्वामी है और यह आपके पांचवें भाव में नीच का होगा. इस दौरान आप पैसों की बचत करने में असफल हो सकते हैं. आपको अपने निवेश से अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना कम है. हो सकता है कि आप पैसों के मामले में सही फैसला लेने की स्थिति में न हों और ऐसे में आपको आर्थिक निर्णय लेने से बचने की सलाह दी जाती है. कार्यक्षेत्र में आपको नया प्रोजेक्ट मिलने में देरी हो सकती है या हो सकता है कि वह प्रोजेक्ट आपसे छीन लिया जाए. इसके अलावा निजी जीवन के लिए भी यह समय अनुकूल प्रतीत नहीं हो रहा है. इस दौरान आपके बच्चों के स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है. प्रेम जीवन में कुछ तनाव और चुनौतियां बनी रह सकती हैं.

षडाष्टक योग से बचने के प्रभावशाली उपाय

शाम के समय अपने घर या ऑफिस में दीया जलाएं.
घर और अपने कार्यक्षेत्र में कुबेर यंत्र की स्थापना करें और विधि विधान से पूजा करें.
हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें.
हनुमान मंदिर जाएं और मिठाई का भोग लगाएं. फिर उन मिठाइयों को गरीब बच्चों में बांटे.
घर में पूरे विधि-विधान से मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर का हवन करें.
पीड़ित गुरु को बलवान करें, केसर (गुरु) और इलायची (शुक्र) मिश्रित जल या दूध ( चंद्र ) का सेवन मिश्री (मंगल) मिला कर नित्य करें.

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