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क्या 'भारतीय शिक्षा सेवा' पर अपने वादे से मुकर गई मोदी सरकार ?

संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) में हंगामे के बावजूद कई अहम सवालों के जवाब सामने आ रहे हैं. नई शिक्षा नीति को लेकर सुर्खियों में रही मोदी सरकार से जब यह पूछा गया कि शिक्षा प्रणाली की बेहतरी के लिए क्या सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर भारतीय शिक्षा सेवा जैसे विकल्प पर विचार कर रही है, तो केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.

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Published : Aug 5, 2021, 7:47 PM IST

भारतीय शिक्षा सेवा
भारतीय शिक्षा सेवा

नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) का आज 13वां दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया. हालांकि, शोरशराबे और हंगामे के बीच सरकार ने कई विधेयकों को पेश किया. इसके अलावा कुछ विधेयक पारित भी हो गए. शिक्षा मंत्रालय की ओर से भी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के संबंध में लोक सभा में अहम विधेयक पेश किया गया. इसी बीच शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र ने यह पूछे जाने पर कि क्या देश की शिक्षा प्रणाली को कुशल बनाने के लिए सरकार भारतीय शिक्षा सेवा आरंभ कर रही है, प्रधान ने कहा, 'ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.'

यहां दिलचस्प यह है कि लगभग पांच साल पहले संसद सत्र के दौरान ही तत्कालीन मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि केंद्र सरकार जल्द ही भारतीय शिक्षा सेवा (Indian Education Service) शुरू करने पर विचार कर रही है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लोक सभा में महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा था कि केंद्र सरकार जल्द ही अखिल भारतीय शिक्षा सेवा शुरू करने की तैयारी कर रही है. पांडेय ने कहा था कि इस सेवा में नियुक्ति प्रक्रिया में राज्य सरकारों की सलाह के बाद ही फैसला लिया जाएगा.

महेंद्र नाथ पांडेय ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि केंद्र सरकार अखिल भारतीय शिक्षा सेवा को लेकर एक वर्ष से संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर रही है. उन्होंने बताया था कि तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से समिति बनाई गई थी. उन्होंने संसद को बताया था कि इस समिति ने मई, 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी. इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 1968, 1986 और 1992 में बनाई गई शिक्षा नीति में अखिल भारतीय शिक्षा सेवा को जरूरी माना गया है.

नई पाठ्यपुस्तकें व्यापक शोध व परामर्श के बाद
गुरुवार को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में राज्य सभा को बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा के बाद राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की नयी रूपरेखा (एनसीएफ) तैयार की जा रही है और व्यापक शोध व परामर्श के बाद इतिहास सहित सभी विषयों में नयी पाठ्यपुस्तकों का विकास किया जाएगा. उनसे सवाल किया गया था, 'क्‍या सरकार को जानकारी है कि हमारी इतिहास की पाठ्यपुस्‍तकें हमारे राजाओं और साम्राज्‍यों को बहुत कम या कोई स्‍थान नहीं देती हैं और ब्रिटिश शासकों का झूठा महिमामंडन करती हैं.'

इसके जवाब में प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने सूचित किया है कि इतिहास की पाठ्यपुस्तकों सहित उनकी पाठ्यपुस्तकों का वर्तमान सेट राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ), 2005 के आधार पर तैयार किया गया है.

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उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के परिणामस्वरूप एक नया एनसीएफ तैयार किया जा रहा है, जिसके बाद व्यापक शोध और परामर्श के पश्‍चात इतिहास सहित सभी विषयों में नयी पाठ्यपुस्तकों का विकास किया जाएगा.

प्रधान ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि शिक्षा मंत्रालय मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की योजना (एसपीक्यूईएम) की देख-रेख करता था. एसपीक्यूईएम के दिशा-निर्देशों के अनुसार, वित्तीय सहायता उन मदरसों को दी जाती थी जो किसी भी मान्य्ता प्राप्त स्कूल शिक्षा बोर्ड, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) आदि से संबद्ध हैं.

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उन्होंने कहा कि योजना के तहत कोई भी सहायता प्राप्त करने के लिए मदरसों को राज्य सरकार से स्कूलों के रूप में मान्यता प्राप्त करनी जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह योजना एक अप्रैल, 2021 से अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही है.

(एजेंसी इनपुट)

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