उत्तरकाशी : ये कहानी है उत्तरकाशी जिले के सीमांत विकासखंड भटवाड़ी के लोन्थरु और सिरोर गांव की. एक तरफ शिक्षा के लिए शासन-प्रशासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ कई गांव ऐसे भी हैं जहां के लोग किताबी ज्ञान पाने के लिए मोहताज हैं. ऐसे लोगों के बीच शिक्षा की अलख जगाने का काम चौपाल कर रही है.
विकासखंड भटवाड़ी के 84 गांव में चौपालों पर अलग ही माहौल देखने को मिलता है. चौपाल और स्थानीय प्रशासन की पहल से अंगूठा लगाने वाली महिलाएं अब शिक्षित हो रहीं हैं. पहाड़ में पहाड़ जैसे हौसलों के साथ जीवन जीने वाली महिलाएं और बुजुर्ग चौपाल में बड़े उत्साह के साथ कॉपी-पेंसिल लेकर जाती हैं. इस क्लास में दादी से लेकर, बुआ, मामी और नानी तक साक्षर हो रहीं हैं.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में लोंथरु और सिरोर की बुजुर्ग महिलाओं का कहना है कि उन्हें इस उम्र में शिक्षा लेने में किसी प्रकार की कोई हिचक नहीं है. बुजुर्ग महिलाओं ने जिला प्रशासन की पहल का स्वागत करते हुए कहा, पारिवारिक परिस्थितियों के चलते उन्हें सही समय पर शिक्षा हासिल नहीं हुई. ऐसे में इस उम्र में सभी महिलाएं नए जोश और जुनून के साथ पढ़ाई कर रहीं हैं, ताकि कम से कम हस्ताक्षर करना तो सभी सीख जाएं. गांव की बुजुर्ग विजरा देवी ने कहा कि चौपाल के माध्यम से शिक्षित होने एक सुखद अनुभव है, अगर गांव में कोई आएगा तो ऐसे में वे खुले मन से लोगों को बातचीत कर सकेंगी.