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नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से ईडी ने की पूछताछ - Congress leader

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने सोमवार को नेशनल हेराल्ड (National Herald) मामले में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से पूछताछ की. प्रवर्तन निदेशालय ने राज्यसभा में कांग्रेस के नेता खड़गे को समन भेजकर सोमवार को पूछताछ के लिए बुलाया था.

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Published : Apr 11, 2022, 3:51 PM IST

नई दिल्ली:राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) पहुंचे, जहां प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने नेशनल हेराल्ड मामले में उनसे पूछताछ की. प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने बताया कि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत दर्ज किया जाएगा. मल्लिकार्जुन खड़गे भी यंग इंडिया और असोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL ) के पदाधिकारी रह चुके हैं.

नेशनल हेराल्ड की संपत्ति में हेर-फेर का मामला 2012 से चल रहा है. इस मामले को सुब्रमण्यम स्वामी ने उठाया था. उन्होंने कांग्रेस पर असोसिएट जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखाधड़ी और साजिश रचने का आरोप लगाया था. प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले की जांच कर रहा है. इस केस में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा सांसद राहुल गांधी, और सैम पित्रोदा भी आरोपी हैं. इस केस के दो आरोपी आस्कर फर्नांडिस और मोतीलाल बोरा का निधन हो चुका है.

आरोप है कि कांग्रेस ने पार्टी फंड से 90 करोड़ रुपये सोनिया गांधी और राहुल गांधी की स्वामित्व वाली कंपनी यंग इंडिया को उधार दिए. फिर उधार की रकम से असोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL ) को खरीद लिया. एजीएल ही यंग इंडिया अखबार का प्रकाशन करता था. असोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL ) की कुल संपत्ति 2000 करोड़ रुपये बताई जाती है, जिस पर अभी गांधी परिवार का कब्जा है. एजेएल की दिल्ली, मुंबई, पटना, पंचकुला और लखनऊ में संपत्तियां थीं. 2014 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इसकी जांच शुरू की थी.

बता दें कि नेशनल हेराल्ड एक अखबार था, जिसका प्रकाशन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में शुरू कराया था. हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज के नाम से इसके संस्करण छपते थे. इन अखबारों के प्रकाशन के लिए असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई गई थी. 2008 में असोसिएटेड जर्नल ने अखबारों का प्रकाशन बंद कर दिया. बाद में पता चला कि असोसिएटेड जर्नल पर 90 करोड़ रुपयों का कर्ज था. आरोप है कि इस कर्ज को चुकाने के नाम पर वित्तीय अनियमितता शुरू हुई.

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