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SC bails Directors: सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट फर्म के निदेशकों को जमानत देते हुए कहा, ED को पारदर्शी होने की जरूरत - सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी के दो निदेशकों की जमानत के मामले में जांच एजेंसी ईडी के खिलाफ सख्त टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी को कामकाज में प्रतिशोध की भावना नहीं होनी चाहिए.

ED needs to be transparent can not be vindictive in its stand SC grants bails to real estate firm directors
सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट फर्म के निदेशकों को जमानत देते हुए कहा, ईडी को पारदर्शी होने की जरूरत

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 4, 2023, 6:52 AM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गुरुग्राम स्थित रियल्टी समूह एम3एम के निदेशकों बसंत बंसल और पंकज बंसल को जमानत देते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को ईमानदारी के कड़े मानकों को बनाए रखना चाहिए और अपने कामकाज में प्रतिशोध की भावना नहीं होनी चाहिए. बंसल ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के 20 जुलाई के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने यह कहते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि मामला काफी गंभीर प्रकृति का है.

न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि यह ईडी के बारे में बहुत कुछ कहता है और उनकी कार्यशैली पर खराब प्रभाव डालता है खासकर जब से एजेंसी पर देश की वित्तीय सुरक्षा को संरक्षित करने का आरोप लगाया गया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि दोनों निदेशकों को कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए 14 जून को बुलाया गया था, हालांकि उन्हें उसी दिन ईडी द्वारा दर्ज एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था. पीठ ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई में ईडी के गुप्त आचरण से मनमानी की बू आती है.

शीर्ष अदालत ने बंसल की तत्काल रिहाई का निर्देश देते हुए, ईडी अधिकारी द्वारा आरोपियों को उनकी गिरफ्तारी के आधारों की लिखित प्रति दिए बिना मौखिक रूप से गिरफ्तारी के आधारों को पढ़ने पर गंभीर आपत्ति जताई. शीर्ष अदालत ने आरोपियों को गिरफ्तारी के आधार की आपूर्ति के लिए ईडी द्वारा अपनाई गई किसी सुसंगत या समान प्रथा की कमी देखी.

शीर्ष अदालत ने वकीलों की दलीलें सुनने के बाद 11 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. बंसल ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 के तहत अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी और उच्च न्यायालय के आदेश पर सवाल उठाया, जिसने उनकी गिरफ्तारी को रद्द करने से इनकार कर दिया था. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि ईडी को पारदर्शी होना चाहिए, बोर्ड से ऊपर होना चाहिए और निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा के प्राचीन मानकों के अनुरूप होना चाहिए और अपने रुख में प्रतिशोधी नहीं होना चाहिए. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के समय आरोपी को गिरफ्तारी के आधार की एक प्रति देना जरूरी होगा. पीठ ने कहा कि ईडी के जांच अधिकारी ने केवल गिरफ्तारी के आधार को पढ़ा, जो संविधान के अनुच्छेद 22(1) और पीएमएलए की धारा 19(1) के आदेश को पूरा नहीं करता है.

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जिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बसंत बंसल और पंकज बंसल को गिरफ्तार किया गया था, वह अप्रैल में हरियाणा पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा ईडी और सीबीआई मामलों के पूर्व विशेष न्यायाधीश, जो कि पंचकुला में तैनात थे, सुधीर परमार के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर से संबंधित है. एफआईआर के अनुसार परमार कथित तौर पर आरोपी रूप कुमार बंसल, उनके भाई बसंत बंसल और रियल एस्टेट फर्म आईआरईओ के मालिक ललित गोयल के खिलाफ उनकी अदालत में लंबित ईडी और सीबीआई मामलों में पक्षपात दिखा रहे थे.

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