नई दिल्ली:प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नगालैंड के मुख्यमंत्री नीफियू रियो से कथित तौर पर कोहिमा में गैर-मौजूद उच्च न्यायालय भवन के संबंध में दीमापुर के पास रंगपहाड़ स्थित एक सैन्य शिविर में छह घंटे तक पूछताछ की. भवन की नींव 2007 में रखी गई थी. राज्य सरकार इसके निर्माण के लिए अब तक 70 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कर चुकी है.
नगालैंड सरकार ने साल 2018 तक कथित तौर पर परियोजना स्थल के लिए विद्युतीकरण और पानी की आपूर्ति के लिए 44.24 करोड़ रुपये और न्यायाधीशों के लिए बंगलों के निर्माण के लिए 22.42 करोड़ रुपये वापस ले लिए. आरोप लगाया गया है कि नगालैंड के न्याय और कानून विभाग द्वारा 18 निकासी के माध्यम से मार्च 2009 और मार्च 2017 के बीच राशि का गबन किया गया था. ईडी के अधिकारियों ने भी कथित तौर पर रियो की जांच और पूछताछ को लगभग तीन सप्ताह तक गुप्त रखा. ईडी ने मामले को अपने हाथ में ले लिया और सीबीआई द्वारा जनवरी में एक विशेष अदालत में मामले में दो आरोपपत्र दाखिला किए जाने के बाद वित्तीय कोण से जांच शुरू कर दी.
नगालैंड कांग्रेस के प्रमुख के. थेरी और पूर्व मुख्यमंत्री केएल चिशी ने कहा कि राज्यपाल जगदीश मुखी को तुरंत घटनाक्रम का संज्ञान लेना चाहिए और यदि भाजपा के सहयोगी एनडीपीपी नेता रियो इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करनी चाहिए. थेरी ने कहा, 'एक मुख्यमंत्री से ईडी कार्यालय में पूछताछ एक बड़ी बात है. न्यायपालिका की प्रक्रिया को निर्बाध रूप से चलाने के लिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके गृहमंत्री अमित शाह द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की कही गई बात के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखने के लिए रियो के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को बर्खास्त करने की जिम्मेदारी राज्यपाल जगदीश मुखी की है.'