कोलकाता: पश्चिम बंगाल में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दलों पर हमले को लेकर विवाद सोमवार को तब और बढ़ गया जब संघीय एजेंसी ने कहा कि राज्य पुलिस ने पांच जनवरी की संदेशखली घटना में केवल जमानती धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की है तथा उसे बोनगांव हमला मामले में कोई जानकारी नहीं दी गई है. ईडी ने यह भी दावा किया कि यह पीडीएस घोटाला काफी बड़ा है, जिसकी वह जांच कर रहा है और एक संदिग्ध द्वारा 9,000-10,000 करोड़ रुपये की अपराध से अर्जित आय हस्तांतरित की गई, जिसमें से 2,000 करोड़ रुपये सीधे या बांग्लादेश के जरिये दुबई स्थानांतरित किए जाने का संदेह है.
एजेंसी की धनशोधन जांच पश्चिम बंगाल में धान की फर्जी खरीद सहित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में कथित अनियमितताओं से संबंधित है, जहां ईडी ने पिछले साल राज्य के मंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस नेता ज्योतिप्रिय मलिक और उनके सहयोगी बी. रहमान को गिरफ्तार किया था. इस मामले में पांच जनवरी को नए सिरे से छापेमारी शुरू की गई, जिसके तहत ईडी की एक टीम, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक सुरक्षा एस्कॉर्ट के साथ, टीएमसी की स्थानीय इकाई के संयोजक शाहजहां शेख के परिसर पर छापेमारी के लिए संदेशखली पहुंची.
दूसरी टीम ने बोनगांव के सिमुलतला इलाके में टीएमसी नेता शंकर आद्या के ठिकाने पर छापेमारी की. दोनों स्थान उत्तर 24 परगना जिले में हैं. एजेंसी ने कहा कि पहली घटना में उसके तीन अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए और उनके मोबाइल फोन, लैपटॉप, नकदी आदि लूट लिए गए. उसने एक बयान में कहा कि ईडी की ओर से संदेशखली मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की 19 धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के लिए नजत पुलिस थाने में एक शिकायत दी गई थी.
उसने कहा कि इनमें आईपीसी की धाराएं जैसे 307, 333, 326, 353 392 और 395 शामिल थीं. एजेंसी ने कहा कि उसने साथ ही आईपीसी की धारा 148, 186, 189 और 149 के तहत मामला दर्ज करने के लिए शिकायत दी थी. ईडी द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के लिए उल्लेखित की गई अन्य धाराओं में 435, 440, 341, 342 और धारा 120बी, 109 और 115 तहत भी प्राथमिकी दर्ज करने के लिए शिकायत दी गई थी.
ईडी ने कहा कि एजेंसी ने आईपीसी की 19 धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस ने आईपीसी की धारा 148, 149, 341, 186 और 353 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की है. प्राथमिकी में शामिल आईपीसी की अन्य धाराओं में 147, 323, 427, 379, 504 और 34 शामिल हैं. एजेंसी ने कहा कि ये सभी धाराएं ज्यादातर जमानती और गैर-अनुसूचित अपराध हैं. उसने कहा कि इस प्राथमिकी की एक प्रति इस निदेशालय (ईडी) के साथ साझा नहीं की गई है.
ईडी ने एक बयान में कहा कि पांच जनवरी की रात में उसकी टीम के साथ फिर से इसी तरह की एक घटना हुई, जब स्थानीय पुलिस को ईडी की कार्रवाई के बारे में सूचित किए जाने के बावजूद उत्तर 24 परगना जिले के सिमुलतला बोनगांव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता शंकर आद्या की गिरफ्तारी के दौरान भीड़ ने एजेंसी के अधिकारियों पर हमला किया. इसने कहा कि इस घटना में भी प्राथमिकी दर्ज की गई है लेकिन इसकी प्रति की प्रतीक्षा है.
दूसरी घटना का विवरण देते हुए एजेंसी ने कहा कि उसने पुलिस को आद्या के खिलाफ छापेमारी के बारे में सूचित किया था. उसने कहा कि 'ईडी टीम के सभी सदस्यों के साथ-साथ सीआरपीएफ कर्मियों को भीड़ द्वारा धमकाया गया और उन पर हमला किया गया और रात लगभग 11:30 बजे ईडी के अधिकारियों को उनकी आधिकारिक ड्यूटी करने में बाधा डाली गई.'
उसने कहा कि 'इस मामले में, बोनगांव पुलिस को सुबह 8:46 बजे ईमेल के माध्यम से सूचित किया गया और उसके बाद शाम करीब चार बजे बोनगांव के पुलिस अधीक्षक से मोबाइल पर संपर्क किया गया और ईडी टीम को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया गया.' एजेंसी ने कहा कि इस अनुरोध के बावजूद, भीड़ को तलाशी वाले परिसर के पास इकट्ठा होने की अनुमति दी गई और भीड़ में शामिल लोगों ने रात करीब 11:30 बजे ईडी टीम पर पथराव और हमला किया.