नई दिल्ली: संसद में मंगलवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2022-23 में कहा गया है कि निर्यात में स्थिरता तथा चालू खाते का घाटा (कैड) और बढ़ने से रुपया और कमजोर हो सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, ऊंचे व्यापार घाटे की वजह से देश का चालू खाते का घाटा जुलाई-सितंबर तिमाही में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.4 प्रतिशत हो गया.
यह अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था. मंगलवार के शुरुआती कारोबार में विदेशी मुद्रा की निकासी और घरेलू शेयरों में सुस्ती के रुख के चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 12 पैसे गिरकर 81.64 प्रति डॉलर पर आ गया. भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका के केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति को कड़ा करने से रुपये पर दबाव पड़ा है.
रुपया 83 प्रति डॉलर के स्तर को भी पार कर चुका है. आर्थिक समीक्षा के अनुसार, जिंसों की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई से नीचे आ गई हैं. हालांकि, ये अब भी रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले के स्तर से ऊंची हैं. इसमें कहा गया है कि उच्च जिंस कीमतों के बीच मजबूत घरेलू मांग भारत के कुल आयात बिल को बढ़ाएगी. इससे देश का चालू खाते का शेष प्रभावित होगा.
बता दें कि स्थानीय शेयर बाजार में कमजोरी और विदेशी कोषों की निकासी जारी रहने के बीच मंगलवार को रुपया दोपहर के कारोबार में 52 पैसे टूटकर 82.04 प्रति डॉलर पर आ गया. संसद में मंगलवार को पेश 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि निर्यात के स्थिर होने और चालू खाते का घाटा बढ़ने के कारण रुपये पर दबाव बढ़ेगा. आर्थिक समीक्षा पेश होने के बाद निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.61 प्रति डॉलर पर कमजोर खुलने के बाद और गिरावट के साथ 82.04 प्रति डॉलर पर आ गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 52 पैसे की गिरावट को दर्शाता है. सोमवार को रुपया 81.52 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती का आकलन करने वाला डॉलर सूचकांक 0.15 प्रतिशत के लाभ से 102.42 पर पहुंच गया. वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.67 फीसदी के नुकसान के साथ 84.33 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था.
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह में सुधार की उम्मीद
आर्थिक समीक्षा 2022-23 में यह भी कहा गया कि भारत की उच्च आर्थिक वृद्धि और कारोबारी माहौल को अधिक बेहतर बनाने के उपायों के कारण आने वाले महीनों में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) फिर से बढ़ने की उम्मीद है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर वैश्विक अनिश्चितता बढ़ने के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह घटा है.