हैदराबाद : अब जबकि कोरोना के मामले हर दिन चार लाख से अधिक आ रहे हैं, अर्थव्यवस्था से जुड़े कई क्षेत्रों पर इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है. व्यवसाय प्रभावित हो रहे हैं. नौकरियां जा रहीं हैं. धंधा चौपट हो रहा है. कमाई जाने से परिवार प्रभावित हो रहे हैं. अच्छी खासी नौकरी करने वाले लोग कम सैलरी पर दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं.
कोरोना की दूसरी लहर के बीच सूक्ष्म, लघु और मध्यम दर्जे के उद्योगों को आत्मनिर्भर पैकेज से काफी उम्मीदें थीं. लेकिन सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं. इस कैटेगरी में आने वाली एक तिहाई इकाइयां बंद होने की कगार पर आ गईं हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनोमी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर 7.13 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 9.78 प्रतिशत है.
पांच करोड़ लोगों को रोजगार देने वाला खुदरा क्षेत्र भी अब अछूता नहीं रहा. दूसरी लहर आने के बाद अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कुछ कदमों की घोषणा की. लेकिन आरबीआई ने मान लिया है कि दूसरी लहर से बिजनेस गतिविधियां बहुत अधिक प्रभावित नहीं होंगी. आरबीआई ने ऋण चुकाने की अवधि को बढ़ा दिया है. आरबीआई ने इस कदम को उद्योंगो के लिए वरदान माना है.
12 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले एमएसएमई के सामने कई चुनौतियां हैं. उन्हें फंड नहीं मिल रहा है. ऋण चुकाने का दबाव है. इन समस्याओं से निपटने के बाद ही वे अपने को बचा सकेंगे.