श्रीनगर गढ़वाल:हिमालय पिछले कुछ सालों से वनाग्नि के चलते धधक रहा है. इस फायर सीजन में भी जंगल की आग से हिमालय का इको सिस्टम प्रभावित हो रहा है. धुएं से वातावरण में ब्लैक कार्बन का असर ग्लेशियरों तक पहुंच रहा है. हिमालयी राज्यों में वनाग्नि का सर्वाधिक कहर उत्तराखंड पर बरस रहा है. जंगलों की आग की वजह से प्रदेश में जहां तापमान सामान्य से 2 से लेकर 4 डिग्री तक बढ़ गया है. हालांकि इन सबके बीच पर्यावरण को बचाने के लिए गढ़वाल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक आरके मैखुरी (Garhwal University Scientist RK Maikhuri) का प्रयास काफी सकारात्मक रहा है, जिसके परिणाम सामने आ रहे हैं.
उत्तराखंड पूरी दुनिया में अपने क्लाइमेंट के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन बीते कुछ सालों ने यहां के पर्यावरण में बड़ा अंतर देखने को मिला है. यहां की नदियां और हवा तेजी के साथ प्रदूषित हो रहीं हैं. गढ़वाल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक आरके मैखुरी इस बदवाल पर काफी समय से अध्ययन कर रहे हैं. गढ़वाल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक की कोशिश है कि जंगलों में लगी आग समेत अन्य कारणों से उत्तराखंड के पर्यावरण को जो नुकसान पहुंच रहा है, उससे काफी हद तक कम किया जाए और इसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली है.
गढ़वाल विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञनिक आरके मैखुरी ने अपनी टीम के साथ प्रदेश के 6 जिलों में बंजर भूमि के ऊपर बड़े स्तर पर पौधरोपण किया. आरके मैखुरी ने बताया कि उन्होंने शॉर्ट और लॉन्ग टर्म पर उन पौधों की मॉनिटिरिंग भी की. इसके साथ ही ये भी अध्ययन किया गया है कि वहां पर कौन सी प्रजातियां उग सकती हैं. इस तरह के मॉडल को 6 जिलों में डेवलप किया गया है.
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