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congress on freebies : EC के पास मुफ्त उपहार तय करने का अधिकार क्षेत्र नहीं

चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक धन से मुफ्त उपहार बांटने के राजनीतिक दलों के वादों को लेकर ईसी ने सभी पार्टियों से विचार मांगे थे. कांग्रेस ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है. कांग्रेस ने कहा है कि आयोग के पास ये तय करने का अधिकार नहीं है कि क्या फ्रीबीज (congress on freebies) है और क्या कल्याणकारी. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

congress on freebies
कांग्रेस ने अपना जवाब दाखिल कर दिया

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Published : Oct 28, 2022, 3:25 PM IST

Updated : Oct 28, 2022, 4:22 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने पोल पैनल को बताया कि चुनाव आयोग (Election Commission) के पास यह तय करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है कि 'मुफ्तखोरी' (congress on freebies) क्या है. चुनाव आयोग ने हाल ही में राजनीतिक दलों से 4 अक्टूबर को इस मुद्दे पर अपने विचार देने को कहा था. कांग्रेस ने 20 अक्टूबर को अपना जवाब प्रस्तुत किया है (Congress tells poll panel).

सबसे पुरानी पार्टी ने पोल पैनल के सामने तीन मुद्दे उठाए हैं, जिसमें कहा गया है कि क्या उसके (ईसी) पास मुफ्त उपहारों पर निर्णय लेने का अधिकार क्षेत्र है, वह इस शब्द को कैसे परिभाषित करेगा और खुद पीएम द्वारा मानदंडों के विभिन्न उल्लंघनों पर क्या कार्रवाई की जाएगी.

कांग्रेस की प्रतिक्रिया में कहा गया है कि 'हमारी राय है कि आयोग ने अतीत में इस शक्ति के प्रयोग में बड़ी समझदारी और संयम का प्रदर्शन किया है. उसका इसे तय करते समय एक पार्टी के पक्ष में झुकाव रहा है. हालांकि, इस तरह की शक्ति का प्रयोग और वैधानिक संदर्भ द्वारा निर्देशित किया गया है. दूसरे शब्दों में, भारतीय दंड संहिता, 1860 के अध्याय IXA और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में उल्लिखित चुनावी अपराध, आयोग को यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि क्या कानूनी है और क्य़ा अवैध है. वास्तव में, सांप्रदायिक बयानबाजी, अभद्र भाषा, अनुचित प्रभाव आदि पर विशिष्ट प्रतिबंध इन विधियों से आते हैं. इस प्रकार, यदि ईसीआई इस तरह के प्रतिबंध पर विचार करता है तो उसे पहले संसदीय प्रक्रिया पास करने की आवश्यकता होगी. इसके अलावा, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता, 2015 के भाग आठ में भी, चुनाव आयोग सामान्य दिशानिर्देश रखता है जो अनिवार्य रूप से एक जिम्मेदार तरीके से अभियान के वादे करने के लिए कहते हैं.'

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, 'हमें लगता है कि बुंदेलखंड में पीएम की 16 जुलाई की रैली के बाद शुरू हुई यह पूरी बहस गलत है. कल्याणकारी राज्य में इस तरह की बहस के लिए कोई जगह नहीं है. पार्टियां ऐसे मुद्दों पर आंतरिक रूप से चर्चा करती हैं और फिर अपने-अपने घोषणापत्र में वादे करती हैं. मतदाता उन्हें जज करते हैं और उसी के अनुसार वोट करते हैं. इस मुद्दे को लोकतंत्र में लोगों पर छोड़ देना चाहिए.'

श्रीनेत के अनुसार, पार्टी ने कुछ उदाहरणों को सूचीबद्ध किया था जहां पीएम ने कथित तौर पर राजनीतिक लाभ के लिए सशस्त्र बलों और रेलवे का दुरुपयोग किया. पार्टी ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या वह इस मामले में कुछ कार्रवाई करेगा.

तुलना करते हुए सबसे पुरानी पार्टी ने कहा कि उसने जिम्मेदारी वाले वादे किए और बाद में उन पर आरटीआई, आरटीई, मनरेगा, खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे कानून बनाए जबकि भाजपा ने प्रति वर्ष 2 करोड़ नौकरियां, सभी के खातों में 15 लाख, पांच अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था, सभी के लिए आवास जैसे झूठे वादे किए.

श्रीनेत ने कहा, 'क्या बीजेपी इन खोखले वादों का जवाब देगी.' उन्होंने कॉरपोरेट्स के लिए भारी कर छूट को लेकर केंद्र की खिंचाई की और आश्चर्य जताया कि क्या कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से गरीबों को दिया जाने वाला भरण-पोषण मुफ्त की श्रेणी में आता है. उन्होंने सरकारी खजाने की कीमत के बारे में सोचे बिना मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त की घोषणा करने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना करने वाली पीएम की हालिया टिप्पणी पर कटाक्ष करते हुए कहा, 'गरीबों को जो दिया जाता है वह रेवड़ी है तो अमीर कॉरपोरेट्स को जो दिया जाता है उसे हम क्या कहेंगे अशर्फी?'

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Last Updated : Oct 28, 2022, 4:22 PM IST

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