नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई में हो रही देरी में तेजी लाने का आदेश दिया जा सकता है, लेकिन उसे लागू करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि जजों की संख्या तो सीमित ही है.
एक याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति एनवी रमना ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबे समय तक तलवार लटकी नहीं रखी जा सकती है, इसलिए गैरवाजिब देरी से बचने के लिए एक नीति विकसित की जानी चाहिए.
अदालत ने कहा कि वह प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों का मनोबल गिराना नहीं चाहती है. लेकिन उनके द्वारा दाखिल जवाब में देरी की वजह को विस्तार से नहीं बताया जाता है. हम समझते हैं कि सीबीआई अदालतों में 300-400 तक मामले लंबित हैं, सारे मामले कैसे निपटेंगे. फिर भी 10-15 सालों तक आरोप-पत्रों का दाखिल नहीं करना कहीं से भी न्यायोचित नहीं जान पड़ता है. सिर्फ प्रोपर्टी को अटैच कर देने से उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता है.