बीते 11 महीनों में लखनऊ सहित यूपी में छह बार से अधिक आया Earthquake, इन बातों का रखें ध्यान - Lucknow News
हिमालय के नीचे स्थित टेक्टानिक प्लेटों के हल-चल के कारण पूरे उत्तर भारत में Earthquake के झटके महसूस किए जा रहे हैं. बीते 11 महीनों में लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश में आधा दर्जन से अधिक बार बड़े भूकंप के झटके लग चुके हैं. भूगर्भ विशेषज्ञों का कहना है कि लखनऊ और आसपास का क्षेत्र सीस्मिक जोन तीन में इसलिए यहां ज्यादा खतरा नहीं है.
लखनऊ :3 नवंबर की रात 11:34 बजे करीब आए भूकंप ने पूरे उत्तर भारत के लोगों को दहशत में डाल दिया था. भूकंप का एपिक सेंटर नेपाल था जहां पर इस भूकंप के कारण करीब 129 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. विशेषज्ञों का कहना है कि लखनऊ व उसके आसपास के क्षेत्र भूकंप सीस्मिक जोन के तीन में आते हैं. ऐसे में यहां पर ज्यादा नुकसान होने की संभावना कम ही है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत एक बड़ा द्वीप है यह समुद्र में 6000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक तैरता हुआ, यूरेशिया टेक्टोनिक प्लेट से टकराया और हिमालय का निर्माण हुआ है. हिमालय दुनिया की सबसे कम उम्र की पर्वत शृंखला होने के साथ इस के नीचे की प्लेट सबसे अधिक सक्रिय भूकंप जोन में से एक है. आज से करोड़ों साल पहले भारत एशिया के करीब नहीं था, लेकिन जमीन पर आए भूकंप की वजह से भारत हर साल करीब 47 मिली मीटर खिसक कर मध्य एशिया की तरफ बढ़ रहा है और करीब साढ़े 5 करोड़ साल से पहले हुई टक्कर से हिमालय का निर्माण हुआ है.
भूकंप जोन और तीव्रता के हिसाब से क्षेत्र.
जब तक टेक्टानिक प्लेट खुद को एडजस्ट नहीं कर लेंगे तब तक भूकंप आएगा : लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह ने बताया कि भारत उत्तर की तरफ बढ़ रहा है और यह करीब 6.5 मिली की की रफ्तार से एशिया प्लेट में धंस रहा है. जिससे हिमालय का निर्माण हुआ है. जब तक हिमालय प्लेट्स व उससे जुड़ी टेक्टानिक प्लेट स्थिर नहीं होगी, तब तक भूकंप आते रहेंगे. करीब 20 साल पहले भारत में इस तरह के भूकंप पर रिसर्च शुरू हुआ है और तब से पता चला है कि हिमालय प्लेट्स के नीचे जा रहा है. वह लगातार एक दूसरे में धंस रही हैं. यह जब एनर्जी रिलीज करती हैं तो हिमालय प्लेट्स के साथ उत्तर प्रदेश के बड़े क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस होते हैं.
लखनऊ में आए भूकंप और उनकी तीव्रता
कितनी तबाही ला सकता है रिक्टर स्केल पर दर्ज भूकंप
9 नवंबर 2022 को 4.9 तीव्रता का भूकंप आया था.
24 जनवरी 2023 को 5.2 तीव्रता का भूकंप आया था.
21 मार्च 2023 को 4.25 तीव्रता का भूकंप आया था.
28 अप्रैल 2023 को 4.8 तीव्रता का भूकंप आया था.
3 अक्टूबर 2023 को 5.9 तीव्रता का भूकंप आया था.
3 नवंबर 2023 स्कोर 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था
0-0.9 तीव्रता का भूकंप- सिर्फ सीज्मोग्राफ में पता चलेगा.
2-2.9 तीव्रता का भूकंप- इसे सिर्फ हल्के झटके आएंगे.
3-3.9 तीव्रता का भूकंप- इस तीव्रता से आए भूकंप से आपको ऐसा लगेगा जैसे पास से कोई बड़ा ट्रक गुजारा हो.
4-4.9 तीव्रता का भूकंप- इस तीव्रता से आए भूकंप से घरों की खिड़कियां टूट सकती है तथा दीवारों पर लगे फोटो फ्रेम गिर सकते हैं.
5-5.9 तीव्रता का भूकंप- इस तीव्रता से आए भूकंप से घरों का फर्नीचर हिल सकता है और मकान में दरारें आ सकती हैं.
6-6.9 तीव्रता का भूकंप- इस तीव्रता के भूकंप से कच्चे मकान गिर सकते हैं इमारत की नीव दरक सकती है और ऊपरी की मंजिलों का नुकसान हो सकता है.
7-7.9 तीव्रता का भूकंप- इस देवता के भूकंप से इमारतें वह मकान गिर जाते हैं काफी नुकसान हो सकता है.
8-8.9 तीव्रता का भूकंप- इस तीव्रता से आए भूकंप से इमारत के साथ-साथ बड़े-बड़े पुल भी गिर सकते हैं और समुद्री सुनामी का भी खतरा होता है.
9 और उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप- यह इस तीव्रता से आए भूकंप सबसे ज्यादा तबाही लाता है. इस दौरान मैदान में खड़े व्यक्ति को धरती लहराते हुए दिखेगी. बड़ी सुनामी आएगी.
प्रोफेसर सिंह के अनुसार गंगा के मैदान में भूकंप से नुकसान होने की संभावना काफी कम है. क्योंकि जब हिमालय प्लेट से होने वाले भूकंप के झटके गंगा के मैदाने की तरफ आते हैं तो वह उनकी तीव्रता काफी कम हो जाती है. भूकंप के मुख्य कारण टेक्टानिक प्लेटों की क्रिया वलन, भ्रंश आदि है. हिमालय प्लेट टेक्टानिक रूप से सक्रिय है. इसलिए हिमालय में भूकंप आते हैं. ऐसे में लखनऊ और गंगा के मैदान का वह क्षेत्र जो हिमालय से दूर है वह भूकंप से अपेक्षाकृत सुरक्षित है.
भूकंप आने पर इन उपायों से बचाई जा सकती है जान
भूकंप से बचाव के लिए क्या करें या क्या न करें
भूकंप के समय अगर आप किसी बिल्डिंग में मौजूद हों तो वहां से तुरंत निकाल कर खुले स्थान की तरफ जाएं.
भूकंप के झटका के समय किसी भी इमारत के आसपास ना खड़े हों.
इमारत से नीचे आने के लिए लिफ्ट का प्रयोग कभी न करें हमेशा सीढ़ियों से बाहर आएं.
खिड़की और दरवाजे को खुला रखें, बिजली का स्विच ऑफ कर दे.
बिल्डिंग से उत्तर पाना संभव न हो तो किसी मैट या बेड या तखत के नीचे छिपें.
भूकंप के झटका के दौरान यदि बाहर हैं तो तब तक बाहर रहें जब तक पूरी तरह से पक्का न हो जाए कि भूकंप के झटके अब नहीं लगेंगे.
जिन क्षेत्रों में अधिक भूकंप आता हो वहीं छत तथा नीव में पड़ी दरारों की मरम्मत करा लें.
सक्रिय भूकंप क्षेत्र में घरों में सीलिंग में झूमर लाइट आदि का प्रयोग करने से बचें.
सक्रिय भूकंप क्षेत्र में मकान बनाते समय बीआईएस संहिता का पालन करें.
सक्रिय भूकंप क्षेत्र में लोग अपने घरों में गर्म पानी करने के लिए लगे हीटर, एलपीजी सिलेंडर आदि को दीवार के साथ अच्छे से कसावा कर बंधवाएं.
सक्रिय भूकंप के क्षेत्र में बाहर खड़े होने पर भूकंप के दौरान बिल्डिंग, पेड़ों, टेलीफोन, बिजली की लाइनें से दूर रहें.
तीन नवंबर को आए भूकंप की तीव्रता और केंद्र की स्थिति.
सीस्मिक जोन 3 में है लखनऊ व उसका आसपास का क्षेत्र : प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह ने बताया कि लखनऊ व आसपास का क्षेत्र गंगा के मैदान में स्थित होने के कारण यह भूकंप के सीस्मिक जोन 3 में आता है. विश्व को भूकंप की तीव्रता के आधार पर 5 जोन में बांटा गया है. क्योंकि लखनऊ व उसके आसपास के जिले तराई क्षेत्र हैं और यह गंगा के मैदान व उसकी सहायक नदियों पर स्थित है. इसलिए यहां पर भूकंपीय गतिविधियों के नुकसान कम होता है.