पश्चिम बंगाल के मुस्लिम कलाकारों ने बनाई भगवान राम की मूर्तियां, बढ़ाएंगी अयोध्या में शोभा
पश्चिम बंगाल के दो मुस्लिम मूर्तिकारों ने अयोध्या में राम मंदिर के आगामी भव्य उद्घाटन के लिए भगवान राम की मूर्तियां तैयार की हैं. 22 जनवरी 2024 को मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. Jamaluddins handmade Ram statue will grace Ayodhya.
दत्तपुकुर: एक महीने के अंदर अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा. देश के कोने-कोने से लोगों ने मंदिर निर्माण में योगदान दिया है. उनमें से एक पश्चिम बंगाल में दत्तपुकुर से हैं. कोलकाता के उत्तर 24 परगना इलाके की एक फैक्ट्री ने श्रीराम की दो फाइबर मूर्तियां बनाई हैं, जो राम मंदिर की शोभा बढ़ाएंगी.
ये दोनों मूर्तियां दत्तपुकुर के फल्दी इलाके में बिट्टू फाइबर ग्लास नामक फैक्ट्री में बनाई गई थीं. इन दोनों मूर्तियों का निर्माण फैक्ट्री मालिक जमालुद्दीन और उनके बेटे बिट्टू ने किया. 16-17 फीट की दो मूर्तियां बनाई गई हैं. एक मूर्ति आठ महीने पहले और दूसरी एक महीने पहले दत्तपुकुर से अयोध्या के लिए भेजी जा चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले का फैसला आने के करीब चार साल बाद 22 जनवरी 2024 को मंदिर के कपाट खुलने जा रहे हैं. इसका उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे.
इसके अलावा, देश-विदेश से कई प्रमुख लोगों के साथ कई संत भी शामिल होंगे. जमालुद्दीन फाइबर की दो मूर्तियां बनवाकर इसका हिस्सा बनकर खुश हैं. उन्होंने कहा कि उनके और उनके बेटे द्वारा बनाई गई रामचंद्र जी की दो मूर्तियां राम मंदिर के लिए गई हैं.
करीब साढ़े सात लाख में बनी हैं दोनों मूर्तियां :जमालुद्दीन ने दोनों मूर्तियों की कीमत भी बताई. उनके मुताबिक, अयोध्या गई पहली मूर्ति की कीमत 2 लाख 80 हजार रुपये है. वहीं दूसरी मूर्ति की कीमत 2.50 लाख रुपये है.
जमालुद्दीन ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में उनके एक दोस्त ने रामचन्द्र जी की मूर्ति बनाने की पेशकश की थी. इसके बाद ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण को लेकर उनसे संपर्क किया. मूर्तियां बनाने का काम शुरू हुआ. मूर्ति की डिलीवरी लेने से पहले अयोध्या के कई लोग बारासात के एक होटल में लगभग 20-25 दिनों तक रुके थे.
रामोजी फिल्म सिटी में ली ट्रेनिंग :जमालुद्दीन लंबे समय से इस पेशे से जुड़े हुए हैं. उन्होंने रामोजी फिल्म सिटी, हैदराबाद में मूर्ति निर्माण का प्रशिक्षण लिया. उसके बाद, वह दत्तपुकुर लौट आए और एक कारखाना बनाया. उनका बेटा बिट्टू भी इस पेशे में शामिल हुआ. जमालुद्दीन को उनकी कला के लिए पहले ही सराहना मिल चुकी है. उन्हें उम्मीद है कि रामचन्द्र जी की मूर्ति के जरिए उनके काम की ख्याति विदेशों में फैलेगी और बाद में उनका कारोबार बढ़ेगा.
क्षेत्रवासी भी अपने क्षेत्र में दो फैक्ट्रियों को लेकर खुश हैं. अधिकांश के अनुसार, कलाकार हमेशा धार्मिक दायरे से ऊपर होते हैं. दत्तपुकुर के जमालुद्दीन और उनके बेटे बिट्टू ने इसे फिर से साबित कर दिया.
हालांकि, सिर्फ ये पिता-पुत्र ही नहीं, दत्तपुकुर के एक और निवासी का नाम राम मंदिर निर्माण से जुड़ा है. वह दत्तपुकुर दिघिरपार पालपारा का रहने वाले सौरव रॉय हैं. सौरव दत्तपुकुर स्थित फैक्ट्री में फाइबर का भी काम करते हैं. वहां से वह एक ग्रुप के साथ उत्तर प्रदेश चले गए. सौरव ने कहा कि वह अधिक वेतन के लिए आए थे. सौरव के माता-पिता को नहीं पता कि उनका बेटा बाहर क्यों गया है.