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कोविड की दूसरी लहर में जिंदगी-मौत के बीच फंसे जिवाने ने नहीं हारी हिम्मत, यूपीएससी में चयनित

कोविड ने करीब-करीब उसका सपना चकनाचूर ही कर दिया था, उसकी हालत ऐसी थी कि उसे लगा कि वह अब नहीं बचेगा. लेकिन सिविल सेवा परीक्षा पास करने के एक दिन बाद शनिवार को आदित्य जिवाने ने अपने माता-पिता को उन्हें बड़ा सोचने के लिए प्रेरित करने एवं नये शहर में संकट के दौरान मदद के लिए अपने गृह राज्य महाराष्ट्र के नौकरशाहों को धन्यवाद दिया.

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Published : Sep 26, 2021, 3:33 PM IST

नई दिल्ली : आदित्य जिवाने (25)को शुक्रवार को घोषित किए गए सिविल परीक्षा परिणाम में 399 वां स्थान मिला है. उन्हें विश्वास था कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में जगह बना लेंगे और खुशी भी है कि उन्होंने कई बाधाओं पर विजय पाई है.

यशवंतराव कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मेकेनिकल इंजीनियरिंग कर चुके जिवाने ने कहा कि सिविल सेवा को मेरे माता-पिता ने मेरे लिए एक सपने की तरह देखा था. जब मैं बड़ा हो गया तब उनके सपने मेरे हो गए. जिवाने के माता-पिता अध्यापक हैं, उनके पिता चंद्रपुर के वरोड़ा में एक स्थानीय कॉलेज में पढ़ाते हैं जबकि मां जिला परिषद विद्यालय में अध्यापिका हैं. उन्होंने कहा कि एक समय तो ऐसा लग रहा था कि वह सपना साकार नहीं हो पाएगा.

अप्रैल का महीना था और दिल्ली में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर थी. नागपुर में प्राथमिक परीक्षा देने के बाद मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए जनवरी में ही दिल्ली जाने का निर्णय ले चुके थे और अब यहां वह अकेले थे. सिविल सेवा की परीक्षा में पिछले दो प्रयासो में विफल रहे जिवाने अब इस परीक्षा के अंतिम पड़ाव साक्षात्कार की तैयार कर रहे थे कि उसी बीच वह कोविड संक्रमित हो गए.

यहां अस्पताल मरीजों से अटे पड़े थे और जिवाने भी अन्य मरीजों की भांति एक बेड के लिए संघर्ष कर रहे थे. उनके सीटी स्कोर 18 था जो इस बात का संकेत था कि उनकी स्थिति गंभीर है. वह पश्चिमोत्तर दिल्ली में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का केंद्र समझे जाने वाले मुखर्जी नगर में अपने कमरे में अकेले थे.

उन्हें लगा कि मई में होने वाले साक्षात्कार में वह भाग नहीं ले पाएंगे. जिवाने ने बताया कि किसी तरह उन्होंने अपने लिए एक ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया लेकिन वह जल्दी खाली होने लगा और उन्हें पता चल गया था कि अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है लेकिन यह इतना आसान नहीं था.

तब उन्होंने विभिन्न व्हाट्सग्रुप में संकट संदेश भेजा. देश के विभिन्न क्षेत्रों में तैनात उनके राज्य के सिविल सेवा अधिकारियों ने यह संदेश देखा और वे उनकी मदद को आगे आए. मुंबई हवाई अड्डे पर फिलहाल तैनात भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी नीतीश पठोड़े ने कहा कि उनकी हालत गंभीर थी.

हमने उनके माता-पिता और दिल्ली में तैनात अधिकारियों से संपर्क किया ताकि उन्हें तत्काल मदद मिले. उनके माता-पिता को तसल्ली दी गई क्योंकि वे वाकई बहुत चिंतिंत थे. हम एक बेड का इंतजाम कर पाए लेकिन वह बिना ऑक्सीजन का था.

दिल्ली, अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप, दादर नागर हवेली एवं दमन दीव पुलिस सेवा की अधिकारी एवं दिल्ली पुलिस की सहायक आयुक्त स्वाति पाटिल ने बुराड़ी में जिवाने को एक बेड दिलाई. उन्हें 24 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती किया गया. तमिलनाडु कैडर के आईएएस अधिकारी आनंद पाटिल ने भी सहयोग किया. पठोड़े ने बताया कि अस्पताल में भर्ती के बाद भी उनकी हालत गंभीर बनी रही.

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जिवाने को अस्पताल से 30 अप्रैल को छुट्टी दी गई. संयोग से यूपीएससी ने साक्षात्कार 11 मई से अगस्त तक के लिए टाल दिया. जब सेहत ठीक हुई तब वह जून आखिर में साक्षात्कार की तैयारी में जुट गए. पाटिल ने कहा कि जिवाने ने जो भी हिम्मत दिखाई, यह उनकी सकारात्मकता ही थी जिससे उन्हें बीमारी से उबरने एवं लक्ष्य हासिल करने में मदद की.

(पीटीआई-भाषा)

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