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11 साल के दुर्गेश ने बचाई छोटे भाई-बहनों की जान, मिलेगा वीरता पुरस्कार

छत्तीसगढ़ के दुर्ग (Durg) जिले के खुड़मुड़ा गांव (Khudmuda Village) के रहने वाले 11 वर्षीय दुर्गेश सोनकर (Durgesh Sonkar) ने सूझबूझ से अपने छोटे भाई-बहनों (younger brothers and sisters) की जान बचाई (Saved lives ). राज्य सरकार (State government) की ओर से उन्हें वीरता पुरस्कार ( state gallantry award) से नवाजा जाएगा.

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Published : Nov 18, 2021, 9:09 PM IST

रायपुर : कम उम्र में बच्चे बहादुरी दिखाते हुए कुछ ऐसा कर जाते है कि हर कोई कारनामे सुन हैरान रह जाता है. आज हम आपको ऐसे ही एक बालवीर (Balveer) से मिलवाने जा रहे हैं, जिसने अपनी सूझबूझ की बदौलत अपने तीन भाई-बहन की जान बचाई.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं दुर्ग (Durg) जिले के खुड़मुड़ा गांव (Khudmuda Village) के रहने वाले 11 वर्षीय दुर्गेश सोनकर (Durgesh Sonkar) की. दुर्गेश का परिवार 21 दिसंबर 2020 की रात खेत में बने अपने मकान में सो रहा था. ऐसे में बदमाशों ने दुर्गेश के दादा बाला सोनकर, दादी दुलारी बाई, पिता रोहित और मां कीर्ति सोनकर की हत्या कर दी. उस दौरान दुर्गेश के साथ उसकी दो छोटी बहन और एक भाई घर में सो रहे थे. दुर्गेश घर से बाहर निकला तो देखा कि उसकी मां के साथ उसके पिता को बदमाश पीट रहे हैं. जिसके बाद दुर्गेश ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए अपने तीनों भाई-बहन (younger brothers sisters) को सब्जी के बोरे से ढ़क दिया. इस तरह उसने उनकी जान बचाई (Saved lives ). दुर्गेश की बहादुरी के कारण राज्य सरकार (State government) ने उसे वीरता पुरस्कार (state gallantry award) देने का ऐलान किया है.

11 साल के दुर्गेश ने बचाई छोटे भाई-बहनों की जान

आइए जानते हैं कि सवाल-जवाब के माध्यम से जानते हैं कि आखिरकार दुर्गेश ने कैसे अपने भाई-बहनों की जान बचाई...

सवाल : दुर्गेश आपने कैसे आपने अपने-भाई बहनों की जान बचाई?

जवाब: सब्जी के बोरे से अपने भाई बहनों को ढ़ककर मैंने उनकी जान बचाई.

सवाल : कैसे आपको पता चला कि अनहोनी हुई है?

जवाब: अचानक नींद खुली. उसके बाद मां को चूल्हा के लिए आग जलाने को बोला. उसी समय नरेश नाम का व्यक्ति आया. उसके बाद मां पापा को ढूंढने गई. फिर मैं भी गया. उधर देखा कि मां के साथ पिता जी को भी बदमाश मार रहे थे. उसके बाद अपने भाई-बहन को बचाने के लिए मैं घर के अंदर गया और उन्हें बोरे से ढक दिया.

सवाल: बोरे से ढ़कने के बाद आप क्या किए?

जवाब: बोरे से ढ़कने के बाद वापस उसी जगह गया, जहां मां और पापा को वो लोग मार रहे थे. उसके बाद उन लोगों ने मुझे भी मारा. फिर मेरे सिर को पकड़कर दीवाल में घसीटे और मेरे सिर को दीवार में ठोका गया.

सवाल: होश में आने के बाद आगे क्या किए?

जवाब: सिर में चोट लगने के बाद मैं बेसुध हो गया था. उसके बाद होश आया तो घर की ओर गया और अपने भाई बहन को जिस बोरे से ढका था. उसे हटाकर देखा तो वो सुरक्षित थे.

सवाल: क्या आप दरवाजा बंद करके गए थे?

जवाब: बोरे से ढ़कने के बाद दरवाजे को बंद करके गया था, ताकि हत्यारे मेरे भाई बहन के साथ कुछ अनहोनी न कर दें.

सवाल: दरवाजा बंद कर आप वापस घर गए, डर नहीं लगा?

जवाब: बिल्कुल भी डर नहीं लगा.

सवाब: क्या आप, अपने भाई बहन को बता कर घर से निकले थे?

जवाब: जी नहीं, बताकर नहीं गया था. वापस आकर बोरे को उठाया था.

सवाल: आपको राज्य वीरता पुरस्कार मिलने वाला था, मिला या नहीं ?

जवाब: अभी नहीं मिला है. मिलेगा बोल रहे हैं.

सवाल: वीरता पुरस्कार के लिए आपके नाम का ऐलान हुआ तो कैसा लगा?

जवाब: बहुत अच्छा लगा.

सवाल: आपसे पुलिस ने पूछताछ की तो, डर नहीं लगा?

जवाब: बिल्कुल भी डर नहीं लगा. सब कुछ बताया.

सवाल: आप बड़े होकर क्या बनना चाहेंगे. ?

जवाब: मैं बड़ा होकर पुलिस अफसर बनना चाहता हूं.

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