दुर्ग: जिले के धमधा ब्लॉक के भानपुर गांव के खेतों के बीच में स्थित इस मंदिर के गर्भगृह में कुत्ते की प्रतिमा स्थापित है. 16-17 वीं शताब्दी के समय इस मंदिर का निर्माण (durg kukurchaba temple ) किया गया. एक वफादार कुत्ते की याद में इस मंदिर को बनाया गया था.
80 साल से टीकाराम इस मंदिर की देखरेख कर रहे
80 साल से इस मंदिर की देखरेख कर रहे टीका राम साहू ने मंदिर निर्माण की कहानी बताई. यह मंदिर 16वीं से 17वीं शताब्दी के बीच बना था. सदियों पहले एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ इस गांव में आया था. उसके साथ एक कुत्ता भी था. गांव में एक बार अकाल पड़ गया तो उस व्यक्ति ने गांव के साहूकार से कर्ज लिया, लेकिन वो कर्ज वापस नहीं कर पाया. ऐसे में उस व्यक्ति ने अपना वफादार कुत्ता साहूकार के पास गिरवी रख दिया. उसी दौरान एक दिन साहूकार के यहां चोरी हो गई. चोरों ने चोरी कर सारा माल पास के ही तालाब में फेंक दिया और सोचा की बाद में उसे निकाल लेंगे, लेकिन कुत्ते को उस चोरी किये माल के बारे में पता चल गया. कुत्ता रोज तालाब के पास जाकर बैठ जाया करता था. इसकी जानकारी साहूकार को लगी. जिसके बाद तालाब में जाल फेंका गया, जहां से साहूकार का चोरी का सारा सामान मिल गया.
साहूकार ने कुत्ते की वफादारी से खुश होकर गिरवी रखे वफादार कुत्ते को आजाद कर देने का फैसला लिया. साहूकार ने कर्ज लिए व्यक्ति के नाम एक चिट्ठी लिखी और कुत्ते के गले में लटकाकार उसे उसके मालिक के पास भेज दिया. इधर कुत्ता जैसे ही मालिक के पास पहुंचा, उसे लगा कि वो साहूकार के पास से भागकर आया है. इसलिए उसने गुस्से में आकर कुत्ते का सिर काट दिया. कुत्ते को मारने के बाद व्यक्ति ने उसके गले में लटकी साहूकार की चिट्ठी पढ़ी तो वो हैरान हो गया. उसे अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ. उसके बाद उसने उसी जगह कुत्ते को दफना दिया और उस पर स्मारक बनवा दिया.