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वैक्सीन प्रतिरक्षा की अवधि को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों में चिंता

ईटीवी भारत से बात करते हुए वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष (president of Asian Society of Emergency Medicine ) डॉ तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole ) ने कहा, 'हम जानते थे कि सार्स-कोव-2 वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा छह महीने तक चल सकती है. उन्होंने कहा कि भारत में बूस्टर खुराक की आवश्यकता हो सकती है. एक बूस्टर खुराक संक्रमण या बीमारी, विशेष रूप से गंभीर बीमारी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकती है. डेल्टा जैसे प्रकार से सुरक्षा के लिए बूस्टर खुराक की भी आवश्यकता हो सकती है.

डॉ सुनीला गर्ग
डॉ सुनीला गर्ग

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Published : Aug 27, 2021, 9:43 PM IST

Updated : Aug 27, 2021, 10:28 PM IST

नई दिल्ली :कोविड-19 के टीके लगाए गए लोगों के बीच छह महीने तक प्रतिरोधक क्षमता की अवधि दिखाने वाले नवीनतम अध्ययनों ने स्वास्थ्य क्षेत्र में गंभीर चिंता जताई है. इस के चलते भारत में विशेषज्ञों ने टीकाकरण प्रक्रिया (vaccination process) पर फिर से विचार करने का सुझाव दिया है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष (president of Asian Society of Emergency Medicine ) डॉ तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole ) ने कहा, 'हम जानते थे कि सार्स-कोव-2 वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा छह महीने तक चल सकती है.

हाल ही में WHO टीकाकरण पर विशेषज्ञों के रणनीतिक सलाहकार समूह (strategic advisory group of experts ) और कोविड19 वैक्सीन वर्किंग ग्रुप (Covid19 vaccine working group) के सहयोग से वर्तमान में उपलब्ध कोविड19 टीकों के लिए एक अतिरिक्त वैक्सीन खुराक (booster dose) की आवश्यकता और समय पर वर्तमान साक्ष्य की समीक्षा कर रहा है.

ईटीवी भारत से बात करतीं डॉ सुनीला गर्ग

उन्होंने कहा कि भारत में बूस्टर खुराक की आवश्यकता हो सकती है. एक बूस्टर खुराक संक्रमण या बीमारी, विशेष रूप से गंभीर बीमारी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकती है. डेल्टा जैसे प्रकार से सुरक्षा के लिए बूस्टर खुराक की भी आवश्यकता हो सकती है.

डॉ कोले ने कहा कि कुछ जोखिम समूहों के लिए वर्तमान में अनुशंसित आहार से अपर्याप्त सुरक्षा के कारण भी यह आवश्यक हो सकता है.

भारतीय विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला है कि टीका लगाए गए लोगों के लिए कोविड19 वैक्सीन की बूस्टर खुराक की आवश्यकता पर निर्णय लेने के लिए स्थानीय स्तर पर पर्याप्त डेटा हासिल नहीं किया गया है.

हालांकि, सीडीसी सिफारिश कर रहा है कि मध्यम से गंभीर रूप से प्रतिरक्षित लोगों को एक अतिरिक्त खुराक प्राप्त हो, इनमें वे लोग शामिल हैं जो ट्यूमर या रक्त के कैंसर (cancers of the blood) का उपचार करवा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि भारतीय टीके (Indian vaccines) लेने के बाद भी बूस्टर की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि भारतीय टीके कोई अपवाद नहीं हैं.

ब्रिटेन में हुए एक शोध के अनुसार, फाइजर/बायोएनटेक और ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका टीकों की दो खुराकों द्वारा दी जाने वाली कोविड-19 से सुरक्षा छह महीने के भीतर खत्म होने लगती है.

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ईटीवी भारत संवाददाता गौतम रॉय से बात करते हुए एक अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (Indian Association of Preventive and Social Medicine ) की अध्यक्ष डॉ सुनीला गर्ग (Dr Suneela Garg) ने भारतीय टीकाकरण रणनीति (Indian vaccination stragety) पर फिर से विचार करने का सुझाव दिया.

ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड (president of Organised Medicine Academic Guild ) के अध्यक्ष डॉ गर्ग ने कहा कि टीकाकरण, बूस्टर और टीकों की आंशिक खुराक में अंतर सहित तीन रणनीतियां हो सकती हैं.

अगर हम देखते हैं कि किसी कि इम्यूनिटी घट रही है, तो हमें उसे बूस्टर देने की जरूरत है.

हालांकि, डॉ गर्ग ने कोविड के उचित व्यवहार को बनाए रखने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जब तक कि वायरस हमारे जीवन से बाहर न हो जाए, हमें कोविड के उचित व्यवहार का सख्ती से पालन करना चाहिए.

Last Updated : Aug 27, 2021, 10:28 PM IST

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