देहरादून :भले की प्रदेश सरकार युवाओं को रोजगार देने की मुनादी करा रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि युवा सड़कों पर बेरोजगार घूम रहे हैं. प्रदेश में युवाओं को आज आउट सोर्स पर नौकरी पाने के लिए भी धक्के खाने पड़ रहे हैं.
स्थिति यह है कि लाखों के प्रोफेशनल कोर्स करने और डिग्रियां लेने वाले युवाओं को 8-10 हजार तक की नौकरी भी नहीं मिल पा रही है. यही नहीं जिस पोस्ट के लिए क्वालिफिकेशन 10वीं 12वीं रखीं गई है, वहां पर एमएससी और कई कोर्स करने वाले युवा आवेदन कर रहे हैं.
नौकरी के लिए धक्के खा रहे युवा
वैसे तो पूरा देश ही बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है, लेकिन उत्तराखंड में रोजगार का मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है. हालांकि हकीकत में यह आंकड़ा कई गुना ज्यादा भी हो सकता है. उत्तराखंड में बेरोजगारी की हालत यह है कि साल 2020-21 में करीब 8 लाख युवाओं के रजिस्ट्रेशन सेवायोजन कार्यालय में थे.
इसमें से इस वित्तीय वर्ष में डेढ़ हजार लोगों को ही नौकरी मिल पाई. हालत यह है कि अब युवा आउट सोर्स पर नौकरी करने के लिए भी भागा दौड़ी में जुटे हुए हैं. इसका ताजा उदाहरण ऊर्जा विभाग में जेई और एई के पद पर 11 महीने की नौकरी को लेकर जुटा युवाओं का वह हुजूम है जो बीटेक और पॉलिटेक्निक करने के बाद 8 से 12 हजार की नौकरी के लिए भी धक्के खाते हुए दिखाई दिए.
वहीं ऊर्जा निगम में कुछ पदों के लिए भर्ती निकाली गई तो इंटरव्यू में सैकड़ों युवा लाइन में खड़े दिखाई दिए. युवाओं ने बताया कि 11 महीने के लिए ऊर्जा निगम जेई और एई की नौकरी दे रहा है. इसमें 8 से 12 हजार और 12 से 18 हजार रुपए प्रतिमाह तक युवाओं को दिए जाएंगे.
यह सब वह युवा हैं, जो लाखों रुपए के प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद घरों में खाली बैठे हैं.उत्तराखंड में यूं तो रोजगार को लेकर स्थिति पहले से ही खराब थी, लेकिन कोविड-19 ने देश भर की तरह उत्तराखंड में भी रोजगार के अवसरों को कम किया है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से 2019 की रिपोर्ट में साफ किया गया है कि राज्य में बेरोजगारी दर 14.2 तक पहुंची, जो कि राष्ट्रीय औसत से बेहद ज्यादा थी.
कमाल की बात यह है कि कोरोना के दौरान 2021 में बेरोजगारी दर 6.2 हो गई जो कि राष्ट्रीय औसत से कम थी. भाजपा सरकार की बात करें तो पिछले 4 सालों में करीब 4,72,000 बेरोजगारों ने सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण करवाया है. इसमें सबसे बड़ी संख्या राजधानी देहरादून के युवाओं की है. देहरादून में 71,500 बेरोजगारों ने पंजीकरण कराया. बेरोजगारी को लेकर खराब हालातों के उदाहरण इतने भर नहीं हैं.