लखीमपुर खीरीः दुधवा नेशनल पार्क (Dudhwa National Park) को सैलानियों के लिए एक नवंबर से खोल दिया जाएगा. पार्क के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक कहते हैं कि हिमालय की तराई में स्थित दुधवा के जंगल अपने आप में वाइल्ड लाइफ की इनसाइक्लोपीडिया है. सैलानी यहां जंगल, जंगली जानवरों को ही न देखें बल्कि जंगलों की इकोलॉजी को समझें. इसकी चुनौतियों को भी जानें और बचाव के क्या उपाय हो सकते इनपर अपनी राय भी दें.
दुर्गा और नवजात हाथी बच्चे रहेंगे आकर्षण का केंद्र
दुधवा टाइगर रिजर्व में इस बार भी पालतू हाथी हथिनी के बच्चे आकर्षण का केंद्र रहेंगे. इसके अलावा छोटी हथिनी दुर्गा भी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहेगी. दुर्गा हथिनी सहारनपुर के पास जंगलों से लावारिस मिली थी. इस हथिनी के बच्चे का नाम दुर्गा रखा गया है. क्योंकि ये नवरात्रों में दुधवा आई थी. दुर्गा के साथ लोग सेल्फी लेंगे और नवजात हाथी बच्चों को देख बच्चे बहुत खुश होंगे.
गैंडों का कुनबा बढ़ाएगा सैलानियों का मजा
दुधवा टाइगर रिजर्व देश का दूसरा ऐसा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व है, जिसमें बाघों के साथ साथ गैंडों का बड़ा कुनबा भी रहता है. सलूकापुर में गैंडा पुनर्वासन योजना में करीब 38 गैंडों का परिवार भी रहता है. 80 के दशक में असम के काजीरंगा और बाद में नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से यहां गैंडों को लाकर तराई की धरती पर पुनर्वासित किया गया था.