हैदराबाद:26 जून को हर साल अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसे नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस भी कहते हैं. दरअसल दुनियाभर में फैले नशे का फैलता जाल एक बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले चुका है. नशे के सादौगरों और नशे के फैलते जाल पर नकेल कसना कई देशों की सरकारों के लिए ये सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. कई देशों में नशा तस्करी या नशे के सेवन को लेकर कड़े कानून हैं लेकिन फिर भी नशे की तस्करी करने वाले बाज नहीं आते हैं. इस दिन को नशे के खिलाफ जागरुकता के रूप में मनाया जाता है.
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भारत में नशे का जाल
नशे के सौदागरों के लिए भारत एक बाजार भी है और दुनिया के बाजारों तक नशे को पहुंचाने के लिए ट्रांजिट भी. भारत की सीमाएं पाकिस्तान, नेपाल जैसे देशों से लगती हैं और अफगानिस्तान, ईरान जैसे नशे का उत्पादन करने वाले देश भी भारत के पड़ोसी है ऐसे में नशे के जाल से बचना बहुत बड़ी चुनौती है. नशे की अवैध तस्करी ज्यादातर पाकिस्तान से लगते भारत के पश्चिमी राज्यों गुजरात, पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर के रास्ते होती है. दरअसल भारत के रास्ते नशे के सौदागर हेरोइन, अफीम, कोकीन, चरस जैसे नशे की तस्करी करते हैं और उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाते हैं. देश के कई राज्यों से आए दिन नशे की खेप और तस्करों की गिरफ्तारियां होती हैं लेकिन तस्करी का सिलसिला थमता ही नहीं है.
पंजाब ने नशे का सबसे ज्यादा दंश झेला है, जहां कई युवा इसकी चपेट में आकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर चुके हैं. पंजाब में नशे के फैलते जाल को लेकर 'उड़ता पंजाब' नाम की एक बॉलीवुड फिल्म भी बन चुकी है. जिसमें बताया गया है कि किस तरह से पंजाब में नशे का काला कारोबार फलता फूलता है और वहां के युवा इसके सबसे आसान शिकार होते हैं. नशे का ये जाल ना सिर्फ पीढ़ियों को बर्बाद कर रहा है बल्कि राज्य में तस्करी और क्राइम को भी बढ़ावा दे रहा है.
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हिमाचल की वादियों में भी घुल रहा है नशा
हिमाचल प्रदेश छोटा पहाड़ी राज्य है, लेकिन पड़ोसी राज्य पंजाब की तरह यहां भी नशे की बुराई ने अपनी जड़ें गहरी कर ली हैं. चरस, अफीम से आगे बढक़र अब यहां के युवा सिंथैटिक नशा चिट्टे की अंधेरी सुरंग में फंस रहे हैं. हिमाचल में कुल्लू जिले के कुछ इलाके तो नशे के कारण अंतराष्ट्रीय मानचित्र पर कुख्यात हैं. मलाणा क्रीम चरस की एक किस्म है, जिसके लिए विदेशी भी यहां खिंचे चले आते हैं. हालांकि हिमाचल सरकार समय-समय पर नशे के खिलाफ बड़े अभियान भी संचालित करती है, लेकिन ये बुराई कम नहीं हो पा रही है. अब तो स्थिति ये है कि इंटरनेशनल ड्रग तस्कर भी यहां पकड़े गए हैं. नाइजीरिया के तस्कर भी यहां सक्रिय हैं. हिमाचल इस बुराई को रोकने के लिए अपने पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहा है. नशा तस्करों की संपत्ति जब्त करने जैसे कदम भी उठाए गए हैं.
हिमाचल के कुछ जिले तो मानों नशा तस्करों के लिए स्वर्ग सरीखे हैं. ये वो जिले हैं जिनकी सीमाएं पड़ोसी राज्यों खासकर पंजाब से मिलती हैं. जहां से तस्कर नशे की खेप हिमाचल तक पहुंचाते हैं. हिमाचल में हर साल औसतन डेढ करोड़ पर्यटक आते हैं, इनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं. ऐसे में नशा तस्करों के लिए हिमाचल एक बाजार है, जहां से मुनाफा कमाया जा सकता है. हिमाचल हाईकोर्ट भी इस मामले में चिंता जता चुका है. हाईकोर्ट ने कहा था कि नशे के कारण एक पूरी पीढ़ी तबाह हो जाती है, इसलिये नशा तस्करों को मृत्युदंड जैसी सजा का प्रावधान किया जाए.
साल दर साल बढ़ रहे हैं मामले
हिमाचल पुलिस वक्त-वक्त पर नशा तस्करों के खिलाफ और लोगों को जागरुक करने के लिए अभियान चलाती रहती है. कई नशा तस्कर पुलिस के हत्थे भी चढ़ते हैं जिनसे नशे की बड़ी खेप भी पकड़ी जाती है. लेकिन फिर पिछले 8 साल के आंकड़ों पर नजर डाले तो प्रदेश में नशा तस्करी से जुड़े मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
साल | एनडीपीएस के मामले |
2014 | 644 |
2015 | 622 |
2016 | 929 |
2017 | 1010 |
2018 | 1342 |
2019 | 1419 |
2020 | 1538 |
2021 (अब तक) | 742 |