नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उनके खिलाफ पंजाब पुलिस द्वारा एनडीपीएस कानून के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. न्यायालय ने मजीठिया को पंजाब एलं हरियाणा उच्च न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता दी. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने मजीठिया की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि जब अन्य उपाय उपलब्ध हैं तो शीर्ष अदालत में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दाखिल क्यों की गई है?
पीठ ने यह भी कहा कि मजीठिया जमानत अर्जी समेत राहत पाने के लिए उच्च न्यायालय जा सकते हैं. उनकी जमानत अर्जी पर खंडपीठ सुनवाई करेगी. पीठ ने कहा, 'हम संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं. याचिकाकर्ता को प्राथमिकी रद्द करने और जमानत के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की खंडपीठ में जाने की स्वतंत्रता है.' पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी गिरि ने कहा कि विशेष अदालत और उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा, 'यदि अदालत पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा मामले की सुनवाई का निर्देश दे रही है तो राज्य विरोध नहीं कर सकता.' राज्य के पूर्व मंत्री मजीठिया को शीर्ष अदालत ने 23 फरवरी तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था.