नई दिल्ली:राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज राष्ट्रपति भवन में न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को भारत के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलायी. जस्टिस यूयू ललित दो महीने से कुछ अधिक समय के लिए सीजेआई के रूप में काम करेंगे और 8 नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्त होंगे. न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू. यू. ललित मुसलमानों में 'तीन तलाक' की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं. वह ऐसे दूसरे प्रधान न्यायाधीश होंगे, जिन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत किया गया. उनसे पहले न्यायमूर्ति एस. एम. सीकरी मार्च 1964 में शीर्ष अदालत की पीठ में सीधे पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे. वह जनवरी 1971 में 13वें सीजेआई बने थे.
भारत के नामित प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) यू यू ललित ने शुक्रवार को उन तीन क्षेत्रों पर जोर दिया, जिन पर वह देश की न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान काम करना चाहते हैं. न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि कम से कम एक संविधान पीठ उच्चतम न्यायालय में पूरे साल कार्य करे.
देश के 49वें सीजेआई के रूप में शनिवार को शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने कहा कि अन्य दो क्षेत्र जिन पर वह काम करना चाहते हैं उनमें शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करना और जरूरी मामलों का उल्लेख करना शामिल है. निवर्तमान सीजेआई एन वी रमण को विदाई देने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से आयोजित एक समारोह में न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि उनका हमेशा से मानना रहा है कि शीर्ष अदालत की भूमिका स्पष्टता के साथ कानून बनाना है और ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जितनी जल्दी हो सके बड़ी पीठें गठित हों ताकि मुद्दों का तुरंत समाधान किया जा सके.