नई दिल्ली :देश के 1.35 लाख आदिवासी बाहुल्य गांवों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ मिलकर उत्सव मनाने का सिलसिला अभी भी जारी है. ये उत्सव द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने की खुशी का है. जाहिर है कि 2024 के लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा इस समाज की अनुकूल भावनाओं को वोटों में बदलना चाहती है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, आदिवासी समुदाय की आबादी 10.43 करोड़ है. पूर्वोत्तर के आधा दर्जन राज्यों के साथ ही पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड आदि राज्यों में यह आबादी राजनीति को पूरी तरह प्रभावित करती है. लगातार संघ आदिवासी समाज के धर्मांतरण को रोकने के लिए भी सक्रिय है. वह आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और इस बड़े समुदाय को हिंदू समाज की मुख्यधारा से जोड़कर धर्मांतरण रोकने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. यही वजह है कि देश के 1.35 लाख आदिवासी बाहुल्य गांवों में द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के उत्सव मनाने का सिलसिला अभी भी जारी है. यही नहीं, भारत सरकार का आदिवासी और जनजातीय मंत्रालय की सहायता से देशभर के आदिवासी समुदाय के लोग राजधानी पहुंचकर राष्ट्रपति से भी मिल रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा से खास बातचीत की.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी समाज जल, जंगल और जमीन से जुड़ा हुआ है. संघर्ष करके ही यह समाज आज आगे बढ़ा है. ऐसे में इस समाज की एक महिला का देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होना, न केवल आदिवासी समुदाय, बल्कि देश के लिए भी गौरव की बात है. इसलिए, दूसरी पार्टी के लोगों ने भी, जो इस समाज को आगे बढ़ाना चाहते थे, उन्होंने भी दलगत राजनीति से ऊपर द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट डाला.