नई दिल्ली : एच3एन2 वायरस के कारण होने वाले इन्फ्लुएंजा के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए कोविड के अनुकूल व्यवहार के साथ उच्च जोखिम वाले लोगों की सुरक्षा आवश्यक है. यह बात इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन, रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन और मेदांता के निदेशक-चिकित्सा शिक्षा डॉ रणदीप गुलेरिया ( Medanta Director – Medical Education ) ने मंगलवार को कही. National Covid Task Force ( राष्ट्रीय कोविड टास्क फोर्स ) का नेतृत्व करने वाले गुलेरिया ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि H3N2 Virus बुजुर्गो, छोटे बच्चों और कॉमरेडिटी वाले लोगों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है .
Dr Randeep Guleria, Chairman, Institute of Internal Medicine Respiratory and Sleep Medicine ने कहा अच्छे आहार और अच्छी शारीरिक गतिविधियों के संदर्भ में मास्क का उपयोग ( Mask Use ) करना, हाथ धोना, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना, टीका लगवाना ( Flu Vaccination ) और स्वस्थ रहना जैसे उचित व्यवहार का पालन करना आवश्यक है. पेश हैं साक्षात्कार के कुछ अंश-
आईएएनएस : कभी आम सर्दी की तरह मानी जाने वाली इस बीमारी ने कर्नाटक और हरियाणा में दो लोगों की जान ले ली है. रिपोर्टों के अनुसार, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे आईसीयू में समाप्त हो रहे हैं. आपकी टिप्पणियां?
डॉ. रणदीप गुलेरिया : H3N2 कुल मिलाकर हल्के फ्लू जैसी स्थिति का कारण बनता है. लेकिन उम्र के चरम पर - बच्चे और बुजुर्ग और सह-रुग्णता वाले लोग - यह गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है. कुछ मामलों में, गंभीर निमोनिया के कारण उन्हें आईसीयू में भर्ती करने की भी जरूात हो सकती है. इस कारण से, हम विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले समूह में कोविड उचित व्यवहार को बढ़ावा दे रहे हैं और उच्च जोखिम समूह और अत्यधिक उम्र के कई लोगों में रोकथाम के लिए टीकाकरण भी बढ़ा रहे हैं.
आईएएनएस : इन्फ्लुएंजा के मामलों में वृद्धि क्यों हो रही है? क्या इस बार गंभीरता इसलिए ज्यादा है, क्योंकि कोविड ने हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर दिया है?
गुलेरिया : इन्फ्लुएंजा कोई नई घटना नहीं है, हर साल इस बीमारी के मरीज आते हैं जो गंभीर संक्रमण के कारण अस्पताल और आईसीयू में भर्ती हो जाते हैं. लेकिन इस साल यह कुछ ज्यादा हो सकता है.
वायरस नियमित रूप से उस स्थिति से गुजरता है जिसे हम एंटीजेनिक ड्रिफ्ट कहते हैं और कोरोनावायरस की तरह यह उत्परिवर्तित होता रहता है. इसलिए वायरस के लिए थोड़ा सा उत्परिवर्तित होना स्वाभाविक है, जिससे संक्रमण की कुछ अधिक संभावना होती है. इसीलिए एक वैक्सीन है जो सालाना ली जाती है, क्योंकि हर साल वायरस में थोड़ा बहुत बदलाव होता है या कुछ हद तक म्यूटेट होता है.
मुझे नहीं लगता कि एच3एन2 और कोविड में उछाल के बीच कोई संबंध है. सैद्धांतिक रूप से यह संभव है कि पिछले दो वर्षो से कम इन्फ्लुएंजा होने के कारण, जनसंख्या में निहित प्राकृतिक प्रतिरक्षा में जो हम देखेंगे उसमें कमी आई थी. दूसरा कारण यह है कि पिछले दो वर्षो से जहां तक श्वसन पथ का संबंध था, कोविड प्रमुख वायरस था. यह तथ्य कि हम कोविड के अनुकूल व्यवहार का पालन कर रहे थे, ने भी हमें इन्फ्लुएंजा से बचाया.