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खुफिया एजेंसियां आपस में जानकारी साझा करें : अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुफिया एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों को जानकारी एक दूसरे के साथ साझा करने के निर्देश दिए हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के 13वें स्थापना दिवस पर शाह ने कहा कि जब भी कोई आतंकवाद विरोधी कार्रवाई होती है, तो कुछ मानवाधिकार समूह इस मुद्दे को उठाने के लिए आगे आ जाते हैं. लेकिन मेरा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद से बड़ा कोई मानवाधिकार उल्लंघन नहीं हो सकता है. 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

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Published : Apr 21, 2022, 6:36 PM IST

नई दिल्ली :केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने गुरुवार को खुफिया एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह खुफिया जानकारी आपस में साझा करें. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आंतरिक सुरक्षा से संबंधित एक राष्ट्रीय डेटाबेस पर काम कर रही है जिसमें बम विस्फोट, आतंकी फंडिंग, हवाला, नशीले पदार्थ, नकली मुद्रा आदि जैसे मामले शामिल हैं.

नई दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के 13वें फाउंडेशन डे पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, 'कोई भी संगठन या कोई डेटा, अगर इसे साइलो (silos) में रखा जाता है, तो यह किसी काम का नहीं है. लेकिन इसे एक-दूसरे के साथ साझा किया जाता है और ठीक से विश्लेषण किया जाता है, तो यह बहुत मददगार होगा.' शाह ने कहा कि विभिन्न एजेंसियां और राज्य पुलिस के बीच खुफिया जानकारी साझा करने के लिए समन्वय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्रीय आतंकवाद निरोधी जांच एजेंसी, राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड और खुफिया ब्यूरो इसमें काम कर रहा है. गृह मंत्री ने सुरक्षा एजेंसियों से अपील की कि वे थर्ड डिग्री का उपयोग करने के बजाय जांच के लिए नए तरीके, तकनीक के साथ-साथ डेटा और सूचना को अपनाएं.

शाह ने किया खुफिया एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों को संबोधित

आतंकवाद मानवाधिकार उल्लंघन का सबसे बड़ा रूप : अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे बड़ा रूप है और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई मानवाधिकारों के विरुद्ध नहीं हो सकती है. आतंकवाद को समाज के लिए सबसे बड़ा अभिशाप बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई देश है जो आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित रहा है, तो वह भारत है. गृह मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने (जीरो टॉलरेंस) की नीति अपनाई है और देश से इस खतरे को खत्म करने के लिए काम कर रही है.

उन्होंने कहा कि एनआईए ने आतंकी वित्तपोषण के मामले दर्ज किए हैं और इन मामलों ने जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने में काफी हद तक मदद की है. शाह ने कहा कि पहले आतंकी वित्तपोषण के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई नहीं होती थी. उन्होंने कहा कि 2018 में पहली बार आतंकी वित्तपोषण के खिलाफ मामले दर्ज किए गए और इस वजह से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए कोई आसान रास्ता नहीं है.

उन्होंने कहा, '2021-22 में, एनआईए ने कई मामले दर्ज किए, जिसने जम्मू-कश्मीर में स्लीपर सेल को नष्ट करने में मदद की. इसने रसद और आपूर्ति श्रृंखला और उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है जिन्होंने आतंकवाद की मदद की थी और समाज में सम्मानपूर्वक रह रहे थे. एनआईए ने उनका पर्दाफाश किया और उन्हें न्याय के दायरे में लेकर आई. यह एक बड़ी बात है.'

शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और आतंकवादियों के खिलाफ लड़ना एक बात है और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए की गई कार्रवाई दूसरी बात है. उन्होंने कहा, 'हमें जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से खत्म करना है. इसलिए, हमें आतंकी वित्तपोषण के तंत्र को नष्ट करना होगा. एनआईए द्वारा दर्ज जम्मू-कश्मीर के आतंकी वित्तपोषण मामलों के कारण, आतंकी कृत्यों के लिये फंड उपलब्ध कराना अब वहां बहुत मुश्किल हो गया है.'

गृह मंत्री ने कहा कि दुनिया भर में एक अहसास है कि भारत के बिना कोई लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है - चाहे वह पर्यावरण, आर्थिक विकास, समान विकास या आतंकवाद को समाप्त करने का लक्ष्य हो. उन्होंने कहा कि भारत के बिना ऐसे लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सकते और इसलिए देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित और मजबूत करना नितांत आवश्यक है. शाह ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने भारत के लिए पांच हजार अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है.'

एनआईए की तारीफ की :मंत्री ने कहा कि 2008 का मुंबई आतंकवादी हमला एक ऐसी घटना थी जिससे संस्थानों में सुधार की आवश्यकता महसूस की गई. उन्होंने कहा कि मुंबई हमलों के बाद एनआईए का गठन किया गया था और सभी एजेंसियां आतंकी वित्तपोषण के खिलाफ सक्रिय हो गईं. उन्होंने कहा कि आतंकवाद विरोधी संगठनों, खुफिया एजेंसियों और खुफिया जानकारी जुटाने के तंत्र में सकारात्मक बदलाव हुए हैं. शाह ने कहा, 'एनआईए ने 2009 से 400 से अधिक मामलों की जांच की है और कम से कम 349 मामलों में आरोप पत्र दायर किया है.' 2018-19 में जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग एनआईए के दर्ज मामले आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने में सफल रहे. शाह ने कहा कि 2020-21 में एनआईए ने आतंकी समूहों के ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के खिलाफ कई मामले दर्ज किए. शाह ने कहा, 'एजेंसी आतंकवादी संगठन के कई स्लीपर सेल को नष्ट करने में सक्षम हुई.'

पिछले 13 वर्षों में एनआईए की भूमिका की सराहना करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि एजेंसी को अगले 25 वर्षों (आज़ादी का अमृत काल) के लिए कुछ संकल्प लेना चाहिए और प्रयास किए जाने चाहिए ताकि वे सफल हो सकें. उन्होंने कहा, 'सफलता एक अच्छी बात है. लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि यह सफलता किसी भी संगठन को कैसे आगे ले जाती है. यदि सफलता प्रोत्साहन देती है, तो संगठन आगे बढ़ता है. एनआईए को अपनी सफलताओं को समेकित और संस्थागत बनाना चाहिए. जब तक सफलताओं को समेकित और संस्थागत नहीं किया जाता है, तब तक एनआईए अपने मिशन में सफल नहीं होगी.'

एनआईए के महानिदेशक कुलदीप सिंह ने कहा है कि जब से एनआईए ने 2009 से काम संभाला है, वर्तमान में एजेंसी की पूरे भारत में 18 शाखाएं हैं. सिंह ने कहा, '2024 तक हमारा लक्ष्य पूरे भारत में एनआईए की शाखाएं खोलने का है.' एनआईए ने अपनी स्थापना के बाद से 400 मामले दर्ज किए हैं. 349 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है. सिंह ने कहा कि 2494 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दोषसिद्ध की दर 93.25 प्रतिशत है.

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