मुंबई : हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को भी निर्देश दिया कि वह अदालत को उन कदमों के बारे में सूचित करे. जो नगर निकाय ने एंटीबॉडी के लिए ऐसे शिविरों द्वारा ठगे गए लोगों और नकली टीके के कारण उनके स्वास्थ्य पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव की जांच करने के वास्ते प्रस्तावित किए हैं.
अदालत कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान की नागरिकों तक पहुंच बढ़ाने पर कई जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी. राज्य के वकील, अधिवक्ता दीपक ठाकरे ने उच्च न्यायालय को बताया कि इस मामले में सात प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच अभी जारी है. बीएमसी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सखारे ने अदालत को बताया कि आवास समितियों और कार्यालयों के लिए निजी कोविड-19 टीकाकरण शिविरों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को बुधवार तक अंतिम रूप दिया जाएगा.
इसके बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि अधिवक्ता ठाकरे को मामले में जांच अधिकारियों से कहना चाहिए कि वे घोटाले में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शें. अदालत ने कहा कि हो सकता है कि बड़ी मछली की पहचान की जानी बाकी हो. उनकी पहचान की जानी चाहिए और उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए. पुलिस को कहा जाये कि जांच सही होनी चाहिए और किसी भी दोषी व्यक्ति को छूटने नहीं देना चाहिए.