नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) में रिक्तियों को नहीं भरने को लेकर बुधवार को केंद्र से नाराजगी जताई. साथ ही, शीर्ष न्यायालय ने कहा कि 'जब आप आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकते हैं, तो आप उम्मीद नहीं बढ़ाएं.'
न्यायालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आठ हफ्तों के अंदर रिक्तियां भरने का भी निर्देश दिया. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल (Justices Sanjay Kishan Kaul) और न्यायमूर्ति रिषीकेश रॉय (Justices Hrishikesh Roy) की पीठ ने सरकार द्वारा सिर्फ चार रिक्तियों को भरने का जिक्र करने के बाद केंद्र को शेष तीन रिक्तियां भरने के लिए आठ हफ्तों का वक्त भी दिया.
पीठ ने केंद्र को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का चार हफ्तों के अंदर विधायी प्रभाव अध्ययन करने का निर्देश देते हुए कहा कि सरकार हमेशा कानून बनाने की हड़बड़ी में रहती है लेकिन उसका लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन नहीं करती.
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शीर्ष न्यायालय ने जिला एवं राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों के अध्यक्ष और सदस्य/कर्मचारी की नियुक्तियां करने में सरकार की निष्क्रियता और देश भर में अपर्याप्त बुनियादी ढांचे पर एक स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई करते हुए यह कहा. केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरक्त सॉलीसीटर जनरल अमन लेखी ने कहा कि नियुक्तियों की शर्तें हाल ही में पारित कानून अधिकरण सुधार अधिनियम,2021 के मुताबिक होगी.
इस पर पीठ ने कहा, 'यदि आप छह में से चार की नियुक्ति कर सकते हैं तो तीन और क्यों नहीं क्योंकि एनसीडीआरसी में एक और सदस्य की सेवानिवृत्ति से एक और रिक्ति पैदा हुई है. जब किसी को कुछ करने की इच्छा होती है तो ऐसा कोई भ्रम नहीं होता है.' लेखी ने कहा कि वह रिक्तियों को तेजी से भरना सुनिश्चित करने के लिए संबद्ध प्राधिकार को मनाने के लिए अपने कार्यालय का उपयोग करेंगे.