श्रीनगर : 1990 के दशक के दो मामलों में प्रतिबंधित जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (Jammu Kashmir Liberation Front) के नेता मुहम्मद यासीन मलिक (Muhammad Yasin Malik ) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश हुए और कहा कि वह किसी वकील की सहायता लिए बिना गवाहों से खुद जिरह करना चाहेंगे.
जम्मू की विशेष अदालत ने भारतीय वायु सेना (Indian Air Force ) के चार जवानों की हत्या और तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद (Mufti Muhammad Sayeed) की बेटी डॉ रुबैया सईद (Rubaiya Sayeed) के अपहरण के तीन दशक पुराने मामलों में शनिवार को गवाहों से जिरह शुरू की.
गौरतलब है कि सुनवाई के दौरान एक दर्जन से अधिक आरोपियों में से केवल एक आरोपी और एक गवाह कोर्ट में मौजूद थे.
जब आरोपियों के वकीलों ने अपने मुवक्किलों की अनुपस्थिति के कारण कश्मीर में गड़बड़ी (disturbances in Kashmir) का हवाला दिया, तो अदालत ने जिरह प्रक्रिया को स्थगित कर दिया.
सूत्रों के मुताबिक दोनों मामलों में आरोपी मलिक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ. इनमें दोनों मामलों में अभियोजन पक्ष के गवाह अब्दुल रहमान सोफी (Abdul Rehman Sofi) और भारतीय वायुसेना की जवानों की हत्या के मामले में आरोपी सलीम उर्फ नानाजी शामिल हैं.