म्यूनिख: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि क्वाड को एशियाई नाटो (Quad as Asian NATO) बताने की धारणा में न फंसे. उन्होंने कहा कि चार देशों का यह समूह अधिक विविध और बिखरी हुई दुनिया का जवाब देने का 21वीं सदी का एक तरीका है.
जयशंकर ने शनिवार शाम को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) 2022 में व्यापक बदलाव? हिंद-प्रशांत में क्षेत्रीय व्यवस्था और सुरक्षा पर परिचर्चा के दौरान यह बात कही. जयशंकर ने कहा कि क्वाड चार देशों का समूह है, जिनके साझा हित, साझा मूल्य हैं, जो हिंद-प्रशांत के चारों कोनों पर स्थित हैं. जिसका मानना है कि इस दुनिया में किसी भी देश, यहां तक कि अमेरिका में भी अपने बल पर वैश्विक चुनौतियों से निपटने की क्षमता नहीं है.
उन्होंने इस धारणा को खारिज किया कि चार देशों का यह समूह एशियाई-नाटो है. उन्होंने इसे पूरी तरह से भ्रामक शब्दावली बतायी और कहा कि कुछ प्रभावित पक्ष हैं, जो इस तरह की उपमाओं को आगे बढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि मैं आपसे एशियाई-नाटो की उपमा में न फंसने का अनुरोध करता हूं. ऐसा इसलिए नहीं कि तीन देश हैं, जो संधि सहयोगी हैं. हम संधि सहयोगी देश नहीं है. यह अधिक विविध, बिखरी हुई दुनिया का जवाब देने का 21वीं सदी का एक तरीका है.
क्वाड अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान का समूह है. विदेश मंत्री ने चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव का जिक्र करते हुए कहा कि क्वाड 2017 में बना था. यह 2020 के बाद नहीं बना है. उन्होंने कहा कि क्वाड के सहयोगी देशों अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ हमारे संबंधों में पिछले 20 वर्षों में सुधार हुआ है. ये चार देश हैं जो आज यह मानते हैं कि अगर वे सहयोग करते हैं तो दुनिया एक बेहतर जगह होगी.
विदेश मंत्री ने कहा कि क्वाड के कोविड-19 वैक्सीन परियोजना पर भिन्न विचार हैं. उन्होंने कहा कि क्वाड वैक्सीन परियोजना करने पर राजी हो गया है. मुझे नहीं लगता कि क्वाड के ट्रिप्स छूट समेत सभी विषयों पर समान विचार होने चाहिए. मुझे लगता है कि हमारे भिन्न विचार हैं. मेरे विचार में संभवत: हमारे विचार सबसे अधिक प्रगतिशील हैं. गौरतलब है कि अक्टूबर 2020 में भारत और दक्षिण अफ्रीका ने पहला प्रस्ताव सौंपते हुए कोविड-19 की रोकथाम या इलाज के संबंध में ट्रिप्स समझौते के कुछ प्रावधानों के क्रियान्वयन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के सभी सदस्यों के लिए छूट का सुझाव दिया था.