लखनऊ : घरेलू हिंसा का जब भी नाम आता तो जहन में ख्याल आता है कि महिलाओं के साथ आए दिन मामले सामने आते हैं लेकिन क्या आपको मालूम है, घरेलू हिंसा के पीड़ितों में महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी हैं. राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित पारिवारिक न्यायालय (Domestic violence cases against men in family court) में रोज ऐसे केस दर्ज होते हैं जिसमें एक पति, पत्नी या उसके परिजनों के द्वारा प्रताड़ित हो रहा है. पति के साथ भी घरेलू हिंसा होती है. जब समाज में यह बात फैलती है तो लोग तमाम तरह की बातें भी करते हैं. पति के घरेलू हिंसा से बचने के लिए कोई भी कड़े नियम नहीं बनाए गए हैं. कोई भी महिला बड़ी ही आसानी से अपनी बात मनवाने के लिए पति को धमकी दे देती है. पारिवारिक न्यायालय में इस तरह के केस भी दर्ज हैं, जिसमें पत्नी अपनी बात मनवाने के लिए पति के ऊपर दबाव बनाती है. यहां तक की पति को उसके माता-पिता, भाई-बहन से बात करने से भी मना करती है. इसके अलावा जब पत्नी की इच्छा इससे भी नहीं भरती है तो वह उल्टा पति और उसके परिजनों पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाकर कई संगीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करवा देती है.
पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया कि 'महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा को लेकर कानून बने हुए हैं और उनकी सुरक्षा के लिए हर कोई आगे खड़ा होता है, लेकिन पुरुषों के लिए कानूनी तौर पर कोई भी व्यवस्था नहीं है. उनके लिए घरेलू हिंसा का कोई कानून नहीं बना है. यहां तक की घरेलू हिंसा शब्द का इस्तेमाल जहां पर होता है वहां आमतौर पर महिला की ही इमेज हमारी नजरों में बनती है, जबकि ऐसा नहीं है. 10 में से दो पुरुष घरेलू हिंसा से पीड़ित हैं. मौजूदा समय बहुत सारी एनजीओ पुरुष घरेलू हिंसा को लेकर आवाज उठा रही हैं और इसके लिए कानून बनाने की भी मांग कर रही हैं, ताकि महिलाओं के द्वारा जो पुरुष प्रताड़ित हो रहे हैं, जिनकी जिंदगी तहस-नहस हो गई है, उनको इंसाफ मिल सके.'
उन्होंने बताया कि 'कभी-कभी कुछ केस ऐसे आते हैं जिसमें देखते हैं कि घरेलू हिंसा पुरुष पर महिला कर रही थीं. उल्टा पुलिस पति और परिवार के अन्य सदस्यों पर दहेज समेत अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्जकर देती है. पहले एफआईआर दर्ज होते ही पति और उसके परिवारवालों को पुलिस गिरफ्तार कर लेती थी, लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा है. इस मामले में थोड़ा सुधार हुआ है. फिलहाल अभी तुरंत नहीं हो रहा है. मामले की पूरी जांच होती है. कुछ समय का उन्हें टाइम दिया जाता है. उसके बाद उन्हें पुलिस अपनी रिमांड में लेती है. अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा कि पुरुषों के हित में कानून बनना चाहिए, क्योंकि इस तरह के बहुत सारे केस आते हैं जिसे हम देखते हैं. बहुत से केस मैंने लड़े भी हैं.'
'पत्नी करती है हर बात पर गाली गलौज' :गोंडा निवासी युवक ने बताया कि 'साल 2014 में उनकी शादी हुई थी. शुरुआत में बिल्कुल भी पता नहीं चला कि पत्नी का व्यवहार कैसा है. क्योंकि अरेंज मैरिज हुई थी तो ऐसे में एक दूसरे को समझने का भी मौका नहीं मिला था. एक दो महीना बीतते ही पत्नी का असली चेहरा सामने आने लगा. पहले तो छोटी-छोटी बातों पर नोंकझोंक हुआ करती थी, फिर धीरे-धीरे नोकझोंक लड़ाइयों में बदलने लगी. पति के मुताबिक, जब भी लड़ाई होती तो उस समय पत्नी गाली गलौज करने लगती. साल 2014 से अब तक झेलता चला आ रहा हूं. कोविड में चीजें और भी बिगड़ गईं. अब झेल पाना मुश्किल था. 2022 में पारिवारिक न्यायालय में तलाक के लिए अर्जी लगाई. फिलहाल अभी कोर्ट में सुनवाई चल रही है, शायद अगली तारीख में फैसला सुनाया जाए.'