करनाल: देश में ज्यादातर युवा पढ़ाई करके अच्छी नौकरी की तलाश में रहते हैं, ताकि अपने सपनों और जरूरतों को पूरा कर सकें. कुछ युवा ऐसे भी होते हैं जो पढ़े-लिखे होने के बावजूद नौकरी की जगह खुद का काम करने में विश्वास रखते हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो अपने शौक को कमाई का जरिया बना लेते हैं. हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रहने वाले 30 साल के तरणजीत ने भी अपने शौक को बिजनेस बना लिया और आज वो लाखों की कमाई कर रहे हैं.
कुरुक्षेत्र के चढूनी गांव (chaduni village kurukshetra) के रहने वाले तरणजीत सिंह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हुई है, उन्होंने पढ़ाई के बाद नौकरी की बजाय अपने शौक को ही कमाई का जरिया (an engineer turned dog breeder) बना लिया. तरणजीत बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही कुत्तों से गहरा लगाव था. लिहाजा उन्होंने इंजीनियरिंग कैनल के नाम से अपने घर पर ही कुत्तों को पालने का व्यवसाय (dog breeding business) शुरू कर दिया.
इंजीनियरिंग के बाद शौक को बनाया कमाई का जरिया ईटीवी भारत से खास बातचीत में तरणजीत सिंह ने बताया कि वो एक किसान परिवार से है. जो अपनी खेती बाड़ी से ही रोजी-रोटी चला रहे हैं, लेकिन अच्छी पढ़ाई करने के बावजूद भी जब उनको लगा कि नौकरी में भी अच्छा पैसा नहीं है. तब उन्होंने साल 2008 में एक फीमेल डॉग पाली, जिसके बाद उनका डॉग फार्मिंग (Dog Farming Business) का व्यवसाय शुरू हो गया. आज इस बिजनेस की बदौलत वो सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं. तरणजीत सिंह ने बताया कि शुरुआत में उन्होंने छोटे स्तर पर इस काम को शुरू किया. समय बीतने के साथ उनका काम बड़ा होता चला गया. अब तरणजीत के पास लगभग 15 अच्छी नस्ल के डॉग्स हैं जो विदेश से इंपोर्ट किए गए हैं.
इंजीनियरिंग के बाद शौक को बनाया कमाई का जरिया यूरोपियन देशों से इंपोर्ट किए गए डॉग:सभी डॉग्स यूरोपियन देशों से इंपोर्ट किए गए हैं. जिनकी कीमत लाखों में है. अब उनके पास लगभग 15 डॉग हैं. जो भारत के नंबर वन क्वालिटी के डॉग्स में शुमार है. तरणजीत ने बताया कि इन डॉग्स को अच्छी गुणवत्ता का खाना दिया जाता है. जिससे उनकी गुणवत्ता बरकरार रहती है और कुत्तों की अच्छी नस्ल तैयार होती है. कुत्तों को गर्मी से बचाने के लिए उनके शेड में एसी भी लगवाया गया है. तरनजीत बताते हैं कि सर्दियों में कुत्तों की देखरेख में ज्यादा परेशानी नहीं होती, लेकिन गर्मियों में उनकी देखभाल करना चुनौती भरा काम है. इस तरह एक कुत्ते के रखरखाव पर महीने में लगभग 10 से 12 हजार रुपये खर्च होता है.
डॉग ब्रीडिंग से कमा रहे लाखों कुत्तों को दी जाती है स्पेशल फीड: तरणजीत के मुताबिक इन कुत्तों को स्पेशल फ़ीड दी जाती है. जो विदेश से ही मंगवाई जाती है, क्योंकि यहां की फ़ीड की क्वालिटी इतनी अच्छी नहीं है. इसलिए विदेश से ही वो फ़ीड मंगवाते हैं. उन्होंने बताया कि वो मेल और फीमेल की मेटिंग करवाने के ₹50000 लेते हैं. कई डॉग लवर और उनके फार्म में अच्छी नस्ल के पिल्ले खरीदने और अपने डॉग्स को मेटिंग के लिए लाते हैं. तरणजीत के मुताबिक वो मेटिंग तभी करवाते हैं जब फीमेल भी अच्छी क्वालिटी की है. अगर फीमेल की क्वालिटी तरणजीत के डॉग्स के साथ मैच नहीं होती तो वो मेटिंग नहीं करवाते. इसके साथ तरणजीत डॉग्स के पिल्ले भी बेचते हैं, अच्छी नस्ल के पिल्लों की कीमत ₹50000 तक होती है.
तरणजीत के पास जर्मन शेफर्ड नस्ल के डॉग्स ज्यादा हैं. तरणजीत के पास सबसे ज्यादा जर्मन शेफर्ड नस्ल के डॉग्स हैं. दूसरे नंबर पर रोटविलर की नस्ल उनके पास है. तरणजीत ने कुत्तों को रखने के लिए (dog breeders in kurukshetra) लगभग 3 एकड़ जमीन पर फार्म बनाया हुआ है. जहां पर कुत्ते खुले में भी आराम से घूम सकते हैं. छांव से लेकर एसी तक के इंतजाम फार्म में कुत्तों के लिए किया गया हैं. उन्होंने कहा कि काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता. अगर लगन के साथ कोई भी काम करें तो वो जरूर सफल होते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि वो अपने कुत्तों को डॉग शो में नहीं लेकर जाते, क्योंकि उनके जितने पैट उनके पास हैं. सभी अच्छी नस्ल के हैं और हम किसी भी दूसरे के साथ अपने डॉग्स (dog breeder taranjit singh) को तुलना नहीं करते.
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