नई दिल्ली :इंडियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोले ने ईटीवी भारत को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि मैं टीके की तीसरी खुराक के प्रशासन का पुरजोर समर्थन करता हूं. विशेष रूप से उन अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के लिए जिन्हें पहले स्लॉट में टीका लगाया गया और जिनके सामने बड़ा जोखिम है.
बिना टीकाकरण वाले व्यक्तियों में सामुदायिक संचरण और वायरल लोड कैनेटीक्स पर यूके में संकलित एक लैंसेट अध्ययन से संकेत मिलता है कि पूरी तरह से टीकाकरण वाले व्यक्तियों में बिना टीकाकरण वाले मामलों के समान ही वायरल लोड होता है.
डॉ कोले ने कहा कि टीकाकरण और संक्रमण के परस्पर क्रिया पर प्रकाश के माध्यम से (द लैंसेट) अध्ययन कहता है कि टीकाकरण वाले लोग भी वायरस का प्रसार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि त्योहारों के मौसम में भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है.
डॉ कोले ने कहा कि यह सोचना मूर्खता होगी कि टीकाकरण हमें संक्रमण से बचाएगा और हमने कुछ जगहों पर झुंड की प्रतिरक्षा हासिल कर ली है. भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक कंसोर्टिया ने कहा है कि डेल्टा और इसके वेरिएंट डेल्टा प्लस भारत में चिंता की मुख्य आवाज बने हुए हैं. हालांकि इसने कहा कि वर्तमान में बी.1.617.2 की उपस्थिति न्यूनतम है.
डॉ कोले ने कहा कि तीसरी खुराक मूल रूप से इस तथ्य के बाद दी जाती है कि एक व्यक्ति टीकाकरण के 6-7 महीनों के बाद अपनी प्रतिरक्षा खो देता है. कुछ व्यक्ति जैसे फ्रंट लाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं, जो प्रतिरक्षात्मक हैं, उनके लिए तीसरी डोज जरूरी है.
डॉ कोले ने कहा कि टीके की दूसरी खुराक मूल रूप से पहली खुराक को बढ़ावा देती है. तकनीकी रूप से, दूसरी खुराक बूस्टर खुराक है और उसके बाद दी जाने वाली खुराक को तीसरी खुराक या चौथी खुराक कहा जाता है.