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प्रयागराज में चंद्रशेखर आजाद से अंग्रेजों की मुठभेड़ और शहादत का दस्तावेज आया सामने

प्रयागराज में 27 फरवरी 1931 के दिन अंग्रेजों से लोहा लेते हुए चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) शहीद हो गए थे. उनकी अंग्रेजों से मुठभेड़ और शहादत का दस्तावेज सामने आया है. चलिए जानते हैं इस बारें में.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 11, 2023, 10:58 AM IST

Updated : Oct 12, 2023, 6:10 AM IST

प्रयागराजःप्रयागराज में 27 फरवरी 1931 के दिन अंग्रेजों से लोहा लेते हुए चंद्रशेखर आज़ाद (Chandrashekhar Azad) शहीद हो गए थे. अंग्रेजी सेना से मुठभेड़ के बाद चंद्रशेखर आज़ाद ने अपनी पिस्टल की आखिरी गोली खुद को मारकर अपनी जान दे दी थी लेकिन उससे पहले उन्होंने अपने अचूक निशाने से कई अंग्रेज सैनिकों को घायल कर दिया था. इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत (British Rule) ने चंद्रशेखर आज़ाद के साथ एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ 307 का मुकदमा दर्ज किया था. उसी मुक़दमे का विवरण कर्नलगंज थाने के रजिस्टर नंबर 8 में आज दर्ज किया गया है.

प्रयागराज में 1931 में शहीद हुए थे चंद्रशेखर आजाद.

उस एफआईआर की कॉपी तो फिलहाल नहीं है लेकिन थाने के उस रजिस्टर के पन्ने को पुलिस ने संभाल के रखा हुआ था. कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद थानों में महत्वपूर्ण दस्तावेजों को संभाल कर रखने का निर्देश पुलिस आयुक्त रमित शर्मा ने दिया था.जिसके बाद कर्नलगंज इंस्पेक्टर बृजेश सिंह ने इस अति महत्वपूर्ण दस्तावेज को फ्रेम करवाकर थानेदार के कमरे में लगवा दिया है.जिससे अब दूसरे लोग भी देख सकते हैं.

आजाद की शहादत का यह दस्तावेज आया सामने.

27 फरवरी 1931 को हुई थी अंग्रेज और आज़ाद के बीच मुठभेड़
अल्फ्रेड पार्क में कर रहे थे साथी का इंतजारः प्रयागराज स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों का केंद्र बिंदु भी रहा करती थी. आज़ादी की लड़ाई के वीर सेनानी अक्सर प्रयागराज में आकर स्वतंत्रता आंदोलन की रूपरेखा तैयार किया करते थे. इसी के साथ आज़ादी के दीवानों की आर्थिक मदद भी प्रयागराज से की जाती थी. उसी दौरान 27 फरवरी 1931 के दिन आज़ादी की लड़ाई के महानायक चंद्र शेखर आज़ाद प्रयागराज पहुंचे थे. यहां पर वो अल्फ्रेड पार्क में पेड़ो के बीच बैठकर अपने किसी साथी का इंतजार कर रहे थे.

उसी दौरान अंग्रेजों को किसी मुखबिर ने सूचना दे दी थी. इसके बाद उस पार्क को चारों तरफ से अंग्रेजी सेना के द्वारा घेर लिया गया था.जिसके बाद काफी देर तक अंग्रेज सैनिक और आज़ाद के फायरिंग चलती रही.इस दौरान चंद्र शेखर आज़ाद ने अपनी बमतुल बुखारा पिस्टल से अचूक निशानेबाजी की बदौलत कई अंग्रेजों को अपनी गोली का निशाना बनाया था.

उनकी गोली से लगातार अंग्रेज सैनिक घायल हो रहे थे.जिसके बाद अंग्रेजी सेना ने आज़ाद को घेरकर चारों तरफ से फायरिंग शुरू की लेकिन आज़ाद ने ठाना था कि वो अंग्रेजों की पकड़ में नहीं आएंगे. इस कारण जब उनकी पिस्टल में सिर्फ एक गोली बची तो उन्होंने उस आखिरी गोली से खुद को वीरगति में पहुंचाने का फैसला कर लिया और अपने सिर में गोली मारकर शहीद हो गए थे.

अज्ञात साथी के खिलाफ भी मुठभेड़ का मुकदमाः चंद्रशेखर आजाद की शहादत के बाद अंग्रेजों ने आजाद और उनके एक अज्ञात साथी के खिलाफ कर्नलगंज थाने में मुठभेड़ की मुकदमा दर्ज किया था लेकिन अंग्रेजी सेना इस बात का खुलासा नहीं कर सकी कि उस वक्त आज़ाद के साथ उनका कौन सा साथी मौजूद था. बहरहाल उस समय दर्ज किए गए मुकदमें की कॉपी तो इस थाने में मौजूद नहीं है.लेकिन थाने में रखे हुए 8 नंबर रजिस्टर में उस दिन की घटना का जिक्र किया गया है. आज़ादी के पहले बने उस रजिस्टर में उर्दू और फारसी भाषा में मुठभेड़ की कहानी लिखी गई है.जिसको कुछ सालों पहले अनुवादकों की मदद से हिंदी में ट्रांसलेट करवाया गया था.कर्नलगंज थाने के रजिस्टर के उस पन्ने को दीमक से बचाने के लिए अब सुरक्षित कर दिया गया है.

प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस आयुक्त रमित शर्मा ने महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सहेज कर सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था.इसी क्रम में थाने के अन्य दस्तेवजों के अलावा चंद्र शेखर आज़ाद की शहादत से जुड़े इस महत्वपूर्ण पन्ने को कर्नलगंज थाने के इंस्पेक्टर बृजेश सिंह ने लकड़ी के फ़्रेम में मढ़वाकर सुरक्षित करते हुए थाना प्रभारी के कक्ष में लगवा दिया है.जिसको अब वहां आने जाने वाले दूसरे लोग भी देख सकते हैं.थानेदार के इस प्रयास की अब लोग सराहना भी कर रहे हैं.

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Last Updated : Oct 12, 2023, 6:10 AM IST

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