हार्निया का ऑपरेशन कराने गया था डॉक्टरों ने निकाल ली किडनी - Paulomi Hospital Secunderabad
सिकंदराबाद के पॉलोमी अस्पताल का कारनामा सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. हार्निया का ऑपरेशन कराने गए व्यक्ति की डॉक्टरों ने किडनी निकाल ली. पढ़ें पूरी खबर... Telangana consumer commission, compensation, Paulomi Hospital Secunderabad.
हैदराबाद:कहते हैं डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होते हैं, लेकिन आज के जमाने में यह कहावत सभी डॉक्टरों पर लागू नहीं होती है, कुछ डॉक्टरों का लेवल लालच के कारण इतना गिर गया है कि अब वे इस पेशे को दागदार कर रहे हैं. तेलंगाना के सिकंदराबाद से ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे.
दरअसल, सिकंदराबाद के पॉलोमी अस्पताल में दो डॉक्टरों ने मिलकर हार्निया का ऑपरेशन कराने आए एक मरीज की किडनी गायब कर दी और उसे बेच दिया. जिसके बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया और अस्पताल के डॉक्टर नंदकुमार बी. मधेकर और डॉ. प्रसाद पर 30 लाख मुआवजा और 25 हजार रुपये खर्च के तौर पर दिए जाने का आदेश सुनाया है.
जांच में पता चला किडनी शरीर में नहीं है :जानकारी के मुताबिक पीड़ित रवि राजू कोठागुडेम में वाहन मैकेनिक है. 2007 में पेट दर्द की वजह से उन्हें हैदराबाद के गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया और डॉक्टरों ने उनका ऑपरेशन किया था. बाद में जुलाई 2009 में उन्हें हार्निया की समस्या के कारण सिकंदराबाद के पॉलोमी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वहां परीक्षण करने वाले डॉक्टरों ने निष्कर्ष निकाला कि दोनों गुर्दे सामान्य थे. बाद में, रवि राजू का राजीव आरोग्यश्री योजना के तहत ऑपरेशन किया गया और 31 जुलाई को छुट्टी दे दी गई.
2011 में जब पीड़ित कोलकाता में अपने रिश्तेदारों के घर गया तो उसके पेट में फिर से दर्द हुआ. वहां अस्पताल में भर्ती कराने के बाद डॉक्टरों ने एक बार फिर हार्निया का ऑपरेशन किया. जांच में डॉक्टरों ने बताया कि बायीं किडनी दिखाई नहीं दे रही है. 2012 में फिर पेट दर्द के कारण उन्होंने खम्मम मेडिकेयर डायग्नोस्टिक सेंटर और बाद में ममता मेडिकल कॉलेज में परीक्षण कराया.
इन जांचों में पाया गया कि युवक के शरीर में किडनी नहीं है. जिसके बाद पीड़ित युवक ने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया, और कहा कि हार्निया के ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने उनकी जानकारी के बिना किडनी निकाल ली. आरोप है कि उसे 50 लाख रुपये में बेच दिया है. किडनी की कमी से उनकी जिंदगी पर असर पड़ रहा है. पीड़ित ने 50 लाख मुआवजे की मांग की है.
डॉक्टरों द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफलता :पॉलोमी अस्पताल के डॉक्टरों ने पीड़ित के आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता उनके अस्पताल में आने से पहले कई सर्जरी करा चुकी थे. उन्होंने कहा कि यदि किडनी दिखाई नहीं दे रही है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे निकाल दिया गया है, बल्कि किडनी खराब होने की अवस्था में गायब भी हो सकती है. डिस्चार्ज के समय जब स्कैनिंग की गई तो पता चला कि किडनी सामान्य थी. आरोपों से इनकार करते हुए डॉक्टरों ने याचिका को खारिज करने की मांग की थी.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उपभोक्ता फोरम ने फैसला सुनाया :वहीं, पीड़ित और डॉक्टर दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा कि डॉक्टरों को यह साबित करना होगा कि उन्होंने कोई गलती नहीं की. इसमें कहा गया कि डॉक्टर डिस्चार्ज से पहले पर्याप्त सबूत और अल्ट्रासाउंड जांच के सबूत पेश करने में विफल रहे. इसलिए, उन्हें यह महसूस करना होगा कि उन्होंने कुछ गलत किया है. इसमें कहा गया कि वे ऑपरेशन की आड़ में अवैध गतिविधियों के आरोपों से इनकार नहीं कर सकते यह माना गया कि शिकायतकर्ता को निर्दोषता के आधार पर धोखा दिया गया है और इसलिए मुआवजा देय है. आयोग की तरफ से फैसला सुनाया गया कि पीड़ित को नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती और न्यूनतम मुआवजे के तौर पर 30 लाख रुपये के अलावा 25 हजार रुपये खर्च के तौर पर देने होंगे.