हैदराबाद : तेलंगाना के वारंगल जिले में डॉक्टर की लापरवाही से एक बच्ची की हाथ की हथेली काटनी पड़ी. उसके माता-पिता को करीब 19 साल की कानूनी लड़ाई के बाद न्याय मिला है. राज्य उपभोक्ता आयोग ने हाल ही में फैसला सुनाया है. पीड़िता को करीब 16 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश हुआ है. इसके साथ ही डॉक्टर और बीमा कंपनी को इस रकम पर सितंबर 2016 से 7 प्रतिशत ब्याज का भुगतान भी करना होगा.
2003 में क्या हुआ :चार साल की बेटी सौम्या को बुखार होने पर रमेशबाबू हनुमाकोंडा स्थित अमृता नर्सिंग होम ले गए. सलाइन चढ़ाने के दौरान गलत निडिल लगने के कारण बच्ची के दाहिने हाथ की हथेली में सूजन आ गई, दर्द बढ़ गया. हालत ये हो गई कि बच्ची को हैदराबाद के एक निजी चिकित्सालय ले जाने की सलाह दी गई, लेकिन माता-पिता ज्यादा पैसा खर्च करने की स्थिति में नहीं थे. रमेशबाबू बेटी को वारंगल एमजीएम अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने संक्रमित हथेली को काट दिया. इसके बाद सौम्या के पिता रमेशबाबू ने जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया.