चेन्नई : तमिलनाडु में 10 साल बाद 2021 के विधानसभा चुनावों में जोरदार जीत की ओर अग्रसर डीएमके की अगुआई वाले गठबंधन की जीत हुई है. इसके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने राज्य के 234 विधानसभा क्षेत्रों में से 157 में आगे है. अब यह तय हो गया है कि डीएमके ही सरकार बनाएगी.
तमिलनाडु में 10 साल बाद सत्ता में लौटी डीएमके
तमिलनाडु की सत्ता पर पिछले 10 वर्षों से एआईएडीएमके काबिज है. 2011 के विधानसभा चुनाव में जे जयललिता के नेतृत्व में सत्ता में लौटी एआईएडीएमके 2016 में अपनी सत्ता बरकरार रखने में सफल रही थी. पर इस बार एआईएडीएमके के हाथ से सत्ता निकलकर डीएमके के हाथ में चली गई है. 10 साल तक विपक्षी पार्टी बनकर रह गई डीएमके प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है.
पार्टी के नेतृत्व वाला मोर्चा 143 विधानसभा क्षेत्रों (कांग्रेस 15, सीपीआई और सीपीआई-एम दो प्रत्येक, वीसीके तीन) में आगे चल रही है, जिसके लिए 6 अप्रैल को मतदान हुआ था.
दूसरी ओर, एआईएडीएमके के नेतृत्व वाला मोर्चा 90 निर्वाचन क्षेत्रों (एआईएडीएमके 81, बीजेपी 3 और पीएमके 6) पर आगे है.
स्टालिन ने कहा, 'डीएमके के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू होने वाला है.'
उन्होंने कहा, 'अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों में द्रमुक के नेतृत्व वाला गठबंधन ही आगे हैं, यह स्पष्ट है कि पार्टी अगली सरकार बनाएगी.'
अन्नाद्रमुक के पूर्व सांसद के.सी. पलानीसामी ने बताया, एआईएडीएमके की सीटों में गिरावट हो सकती है, क्योंकि लगभग 60 सीटों पर उसके उम्मीदवारों और प्रतिद्वंद्वियों के बीच वोट का अंतर कम है और बाद में बढ़त मिल सकती है.
चुनाव में जीत के साथ, डीएमके कार्यकर्ता यहां पार्टी मुख्यालय में इकट्ठे हुए और पटाखे फोड़कर जश्न मनाया. कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का कोई पालन होता नहीं दिखा.
पार्टी के कार्यकर्ता काफी खुश हैं, क्योंकि डीएमके को बढ़त बनाए रखने की उम्मीद है और आखिरकार एक दशक के बाद राज्य में सत्ता पर कब्जा करने के लिए चुनाव जीता.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, द्रमुक ने 37.2 प्रतिशत मत प्राप्त किए और सहयोगी दलों के साथ, यह लगभग 43 प्रतिशत था, जबकि अन्नाद्रमुक को 33.5 प्रतिशत और गठबंधन के साथ-साथ यह लगभग 41 प्रतिशत था.
राजनीतिक विश्लेषक ने नाम ना छापने को प्राथमिकता देते हुए बताया, 'एआईएडीएमके ने इसके विपरीत उम्मीदों और भविष्यवाणियों के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया है. पार्टी के पास दोहरे नेतृत्व (समन्वयक ओ पन्नीरसेल्वम, संयुक्त समन्वयक के पलानीसामी) और राज्य में भाजपा विरोधी भावनाओं का मुद्दा था.'
उनके अनुसार, एआईएडीएमके 60-70 सीटों पर रुक सकती है जो एक सराहनीय प्रदर्शन है.
वह इस बात से सहमत नहीं थे कि 2019 के लोक सभा चुनावों में डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन की जीत में विधानसभा चुनाव की जीत का विस्तार था.
2019 में तमिलनाडु में मोदी विरोधी लहर थी. विश्लेषक ने कहा कि 2021 के विधानसभा चुनावों में, स्टालिन केंद्र के निशाने पर थे, लेकिन अन्नाद्रमुक को हटाने के लिए उनके पक्ष में कोई लहर नहीं थी.
इस विधानसभा चुनाव का एक दिलचस्प पहलू एनटीके पार्टी है जो डीएमके और एआईएडीएमके के बाद कई निर्वाचन क्षेत्रों में तीसरी ताकत बनकर उभरी है.
विश्लेषक ने कहा, एनटीके करीब सात फीसदी वोट शेयर में बढ़ोतरी कर सकता है.
पलानीसामी और राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर एकमत थे कि वी के शशिकला और उनके भतीजे और एएमएमके नेता टी.टी.वी. धिनकरन अब कमजोर ताकत हैं और अन्नाद्रमुक के लिए खतरा नहीं हो सकते.
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