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बच्चे दो ही अच्छे : उत्तराखंड में तीसरी संतान पैदा होने पर DM ने ग्राम प्रधान को पद से हटाया - DM REMOVED GRAM PRADHAN

उत्तराखंड में एक ग्राम प्रधान को पद से हटा दिया गया. तीसरी संतान होने की वजह से उसे अपने पद से हाथ धोना पड़ गया. दरअसल राज्य में स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत के जन प्रतिनिधियों के लिए अधिकतम दो संतान की शर्त लागू है.

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बच्चे दो ही अच्छे

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Published : Mar 29, 2022, 3:40 PM IST

टिहरी :ग्राम पंचायत सेम के ग्राम प्रधान विक्रम सिंह नेगी को तीसरी संतान की वजह से पद से हटा दिया गया. डीएम ईवा आशीष श्रीवास्तव ने यह कार्रवाई की (DM REMOVED GRAM PRADHAN). सेम गांव के ही एक ग्रामीण विकेंद्र सिंह ने इस मामले में जिलाधिकारी से शिकायत की थी, जिसके सही पाए जाने पर प्रधान को पद से हटाया गया है. शिकायतकर्ता विकेंद्र सिंह ने बताया कि साल 2019 में विक्रम नेगी की दो जीवित संतान थीं. उस दौरान पंचायत चुनाव में वह प्रधान पद पर निर्वाचित हुए थे. लेकिन 8 जुलाई 2021 को विक्रम नेगी की पत्नी सरिता देवी ने तीसरी संतान को जन्म दिया.

बेलेश्वर अस्पताल में तीसरी संतान होने का पूरा ब्यौरा है. शिकायत का संज्ञान लेने पर डीपीआरओ टिहरी ने भिलंगना के बीडीओ और सहायक विकास अधिकारी को जांच सौंपी. दोनों अधिकारियों की जांच में शिकायत सही पाई गई. जांच आख्या के आधार पर डीपीआरओ ने ग्राम पंचायत सेम के प्रधान विक्रम सिंह नेगी को नोटिस जारी किया. 22 अक्टूबर, 2021 को नोटिस के जवाब में ग्राम प्रधान ने स्वयं की तीन संतान जीवित होने की पुष्टि की. इसके बाद 17 फरवरी 2022 को डीएम की ओर से ग्राम प्रधान को सुनवाई का एक और अवसर देते हुए साक्ष्यों के साथ स्वयं उपस्थित होने को कहा लेकिन निर्धारित तिथि तक ग्राम प्रधान ना स्वयं उपस्थित हुए और ना ही कोई प्रत्यावेदन प्रस्तुत किया. जिसके बाद जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव ने सेम ग्राम प्रधान विक्रम सिंह नेगी को दोषी पाए जाने पर 25 मार्च को ग्राम प्रधान पद से हटा दिया है.

केवल दो बच्चों की शर्त: प्रदेश में स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत के जन प्रतिनिधियों के लिए अधिकतम दो संतान की शर्त लागू है. ये शासनादेश प्रदेश की सबसे पहली निर्वाचित एनडी तिवारी सरकार के समय यानि दो जुलाई 2002 से ही लागू है. इस शर्त के चलते ऐसे लोग प्रदेश में पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले सकते हैं, जिनकी जुलाई 2002 के बाद तीसरी संतान पैदा हुई है. इसके साथ ही बीजेपी सरकार ने 2018 में पंचायती राज एक्ट में भी संशोधन करते हुए, इसमें न्यूनतम शिक्षा की शर्त भी लागू कर दी है.

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