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Anand Mohan Release: फिर याद आई 29 साल पुरानी वो कहानी, जब DM को गाड़ी से खींचकर मार दी थी गोली

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Published : Apr 24, 2023, 10:00 PM IST

Updated : Apr 25, 2023, 9:05 AM IST

पूर्व सांसद आनंद मोहन पिछले कुछ महीनों से चर्चा में हैं. फरवरी में धूमधाम से बेटी की शादी थी. तीन मई को उनके विधायक पुत्र की शादी होने वाली है. आज 24 अप्रैल को उनके बेटे की सगाई हो रही है. इस मौके पर राज्य सरकार ने उन्हें यादगार गिफ्ट दिया है. दरअसल सरकार ने बिहार कारा नियमावली में संशोधन किया है, जिससे आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया. यहां हम आपको बता रहे हैं कि क्या था पूरा मामला जिसमें आनंद मोहन जेल गये थे.

Anand Mohan Release
Anand Mohan Release

पटनाःआनंद मोहन की रिहाई का रास्त भले ही साफ हो गया हो पर आज भी लोगों को वो दिन याद है, जब बिहार का मुजफ्फरपुर अचानक सुर्खियों में आ गया था. 5 दिसम्बर 1994 को जब गोपालगंज के तत्कालीन कलेक्टर जी. कृष्णैया को कार से खींचकर पीटते-पीटते फिर गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. 29 साल पुरानी वो दुर्दांत कहानी सुन आज भी लोगों के शरीर में सिहरन पैदा कर देती है. उसवक्त इस हत्याकांड में पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन का नाम सामने आया था. इस कहानी के परत-दर-परत से आपको रूबरू कराते हैं आखिर क्या हुआ था.

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29 साल पुरानी वो दुर्दांत कहानी.. :बिहार का मुजफ्फरपुर जिला. तारीख 5 दिसंबर 1994. दोपहर का वक्त था. गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया हाजीपुर से मीटिंग खत्म करके मुजफ्फरपुर हाईवे होकर गोपालगंज जा रहे थे. रास्ते में खबड़ा गांव के पास बड़ी संख्या में लोग छोटन शुक्ला का शव रखकर प्रदर्शन कर रहे थे. वे प्रशासन के खिलाफ नारे लगा रहे थे. तभी डीएम जी. कृष्णैया की गाड़ी आ गई. उग्र भीड़ ने हमला कर दिया. भीड़ ने उनको गाड़ी से बाहर खींचकर बाहर निकाल लिया. उनके साथ मारपीट की फिर वहीं पर गोली मार दी.

सरकारी कार देख भड़के थे प्रदर्शनकारी :4 दिसंबर को मुजफ्फरपुर में कुख्यात छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई थी. छोटन शुक्ला का इलाके में वर्चस्व था. उसकी हत्या से उनके समर्थकों में काफी आक्रोश था. वो सड़कों पर घूम-घूम कर प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान तोड़-फोड़ और मारपीट कर रहे थे. डीएम की गाड़ी देखते ही प्रदर्शन कर रहे लोग भड़क उठे. गाड़ी से खींचकर डीएम की हत्या कर दी. इसी भीड़ का नेतृत्व पूर्व सांसद आनंद मोहन कर रहे थे. इस हत्याकांड से पूरे देश में सनसनी फैल गई.

हत्याकांड में आया था पूर्व सांसद का नाम : इस मामले में आनंद मोहन, उनकी पत्नी लवली आनंद समेत छह पर प्राथमिकी दर्ज की गयी. लंबी सुनवाई के बाद 2007 में आनंद मोहन, छोटन शुक्ला के भाई मुन्ना शुक्ला, अखलाक अहमद और अरुण कुमार को फांसी की सजा सुनाई गई. लवली आनंद को बरी कर दिया गया. बाद में पटना हाई कोर्ट ने मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. साल 2008 में सबूतों के अभाव में आनंद मोहन के अलावा अन्य दोषियों को बरी कर दिया गया. बाद में आनंद मोहन सुप्रीम कोर्ट गये लेकिन, वहां से भी राहत नहीं मिली.

कौन थे जी. कृष्णैयाः डीएम जी. कृष्णैया तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले थे. 1985 के बिहार कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी थे. उनकी छवि ईमानदार अफसर की थी. वे दलित समुदाय से आते थे. काफी गरीबी में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की थी. आनंद मोहन की रिहाई के लिए उठाये जा रहे कदम का बसपा प्रमुख मयावती ने विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि इससे दलित समाज में नीतीश के बारे में गलत मैसेज जाएगा.

Last Updated : Apr 25, 2023, 9:05 AM IST

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