अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन (Inauguration of Ram Mandir in Ayodhya) से पूर्व अयोध्या की सड़कों को चौड़ा करने और अयोध्या आने वाले यात्रियों की सुविधाओं के लिए कई विकास योजनाओं पर काम चल रहा है. इसके लिए भूमि अधिग्रहण (Acquisition of Land in Ayodhya) को लेकर साधु संतों की नाराजगी को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. गुरुवार की शाम अयोध्या के राम कथा संग्रहालय सभागार (Ayodhya Ram Katha Museum Auditorium) में जिला प्रशासन के सभी अधिकारियों और साधु संतों के प्रतिनिधिमंडल के साथ एक बैठक हुई. बैठक में जिला प्रशासन की तरफ से जिला अधिकारी नीतीश कुमार ने साधु संतों को आश्वासन दिया कि किसी भी आश्रम या मंदिर की संपत्ति को जबरन नहीं ली जा रही है. स्वामित्व के आधार पर सहमति से ही भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि धार्मिक नगरी अयोध्या में सर्वाधिक संख्या मंदिर और उनसे जुड़ी संपत्तियों की है. अयोध्या में सड़क चौड़ीकरण से लेकर यात्री सुविधा केंद्र, पार्किंग स्थल अयोध्या आने वाले यात्रियों के रहने के लिए यात्री निवास समेत कई योजनाओं के लिए जमीन की जरूरत है.
इसी की पूर्ति के लिए जिला प्रशासन ने कई स्थानों पर भूमि अधिग्रहित की है. इसी अधिग्रहण के बदले मुआवजे और कब्जे के अधिकार को लेकर तमाम मंदिरों और उनकी संपत्तियों पर विवाद था. इसके कारण इस पूरी कार्रवाई पर अवरोध उत्पन्न हो रहा था. कई जगहों पर प्रशासन को साधु संतों का विरोध भी झेलना पड़ा था. इसी को लेकर बुधवार को संतों की एक बड़ी बैठक वाल्मीकि भवन में हुई थी. इसमें संतों ने इस पूरे मामले को लेकर एक जन आंदोलन की चेतावनी दी थी.
इसके बाद गुरुवार को जिला प्रशासन के अधिकारियों और संतों के बीच एक बैठक संपन्न हुई है. मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने बताया कि प्रशासन के अधिकारियों के साथ हमारी वार्ता हो गई है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि अयोध्या के निवासियों और साधु संतों के साथ न्याय संगत कार्रवाई होगी, किसी की संपत्ति को जबरन नहीं अधिग्रहित किया जाएगा.
डीएम नीतीश कुमार ने कहा कि भूमि अधिग्रहण को लेकर संतों ने कुछ प्रस्ताव दिए हैं जिन पर विचार विमर्श किया गया है. अभी तक जितनी भी जमीन ली गई है उसके बदले मुआवजे की धनराशि भी दी गई है. कुछ स्थानों पर स्वामित्व के विवाद भी हैं. उस पर माननीय न्यायालय के निर्देश के अनुसार ही कार्रवाई की गई है. अयोध्या में कई स्थानों पर नजूल भूमि को भी कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है. उन सभी संपत्तियों की पत्रावली की जांच कर असली स्वामित्व वाले व्यक्ति को मुआवजे का अधिकारी मानकर अधिग्रहण की कार्रवाई की जा रही है. अभी तक किसी भी साधु संत के साथ अनाधिकृत रूप से कोई कार्रवाई नहीं की गई है.