हमारे देश में प्रकाश पर्व दीपावली पूर्व से पश्चिम तक और उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक अलग अलग तौर तरीकों से मनाया जाता है. त्योहारों के देश में हर एक त्योहार की तरह दीपावली भी भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग अंदाज में दिलचस्प तरीके से मनाए जाता है. इस त्योहार को लोग अपने यहां के रीति रिवाज व परंपराओं के हिसाब से मनाते हैं. कई जगहों पर साफ सफाई व साज सज्जा के साथ तो कई जगहों पर लक्ष्मी गणेश पूजन करके मनाते हैं. कई जगहों पर धूमधाम तरीके से आतिशबाजी के साथ यह त्योहार मनाया जाता है.
रोशनी का त्योहार दीपावली देश विभिन्न हिस्सों में भिन्न भिन्न प्रथाओं और मान्यताओं का असर दिखता है. तो आइए ईटीवी भारत के साथ जानने की कोशिश करते हैं कि देश के अलग अलग हिस्सों में दीपावली को किस तरह से मनाने की परंपरा है...
हिन्दीभाषी राज्यों में दीपावली
हमारे देश के हिन्दीभाषी 10 राज्यों में प्रकाशपर्व दीपावली को एक ही तरीके से घर व व्यापारिक प्रतिष्ठानों की साफ सफाई, रंग-रोगन व लक्ष्मी गणेश के पूजन के साथ साथ आसपास के घरों में मिष्ठान व उपहार वितरण करके मनाते हैं. यहां के लोग यही मानते हैं कि भगवान श्री राम के लंका विजय के पश्चात् मनाए जाने वाला त्यौहार है. इस दिन लोग अपने घरों व कार्यालयों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी गणेश की नयी प्रतिमाएं लाकर विधि विधान से पूजन करते हैं.
इसके अलावा वाराणसी में गंगा घाटों पर व अयोध्या में सरयू के किनारे भव्य आयोजन करके दीपावली मनायी जाती है. अयोध्या में सरयू के किनारे दीपावली के दिन तो वहीं वाराणसी में देव दीपावली के दिन लाखों दीपक सजाए जाते हैं. इन दिनों नदियों के किनारे बसे इन दोनों शहरों की शोभा देखते बनती है.
पश्चिम बंगाल में दीपावली (Diwali in West Bengal)
पश्चिम बंगाल में दीपावली के दिन काली पूजा या श्यामा पूजा करने का विधान है. इस दिन देवी काली को हिबिस्कस के फूलों से सजाया जाता है और मंदिरों व घरों में उनकी खास तौर पर पूजा की जाती है. इसके बाद भक्तजन मां काली को मिठाई, दाल, चावल और मछली भी चढ़ाते हैं और फिर उसको प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं. इसके साथ साथ काली पूजा से एक रात पहले बंगाल के लोग अपने घरों में 14 दीये जलाकर बुरी शक्तियों को दूर करने के लिए भूत चतुर्दशी अनुष्ठान भी करते हैं.
ओडिशा में दीपावली (Diwali in Odisha)
ओडिशा में दिवाली के अवसर पर लोग कौरिया काठी नाम की परंपरा का निर्वहन करते हैं. यह एक स्थानीय अनुष्ठान है, जिसमें लोग स्वर्ग में अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं. वे अपने पूर्वजों को बुलाने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए जूट की छड़ें जलाते हैं. दीपावली के दौरान, उड़िया लोग देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और देवी काली की पूजा भी करते हैं.
महाराष्ट्र में दीपावली (Diwali in Maharastra)
महाराष्ट्र में दीपावली की शुरुआत वासु बरस की रस्म से किए जाने की परंपरा है. इस रस्म में गायों की पूजा की जाती है. इसके अलावा प्राचीन चिकित्सक धनवंतरी को श्रद्धांजलि देने के लिए लोग धनतेरस मनाते हैं. दीपावली के अवसर पर महाराष्ट्र के लोग देवी लक्ष्मी की भी पूजा करते हैं. इस दौरान पति और पत्नी के प्यार का जश्न ‘दिवाली चा पड़वा’ मनाया जाता है. यह त्योहार ‘भाव बीज’ और ‘तुलसी विवाह’ के साथ समाप्त होता है. इसके बाद शादियों के शुभ मुहूर्त की शुरुआत होती है.