पटना: कयास लगाए जा रहे हैं कि विपक्षी गठबंधन इंडिया के अंदर मनमुटाव चल रहा है. कई नेताओं में नाराजगी है. ऐसे में लालू यादव की भूमिका अहम हो सकती है. दरअसल ममता बनर्जी और अखिलेश यादव की नाराजगी की खबरें हैं. लालूप्रसाद यादव से दोनों के बेहतर संबंध हैं. इसके अलावा स्टालिन हेमंत सोरेन से भी लालू प्रसाद यादव के अच्छे संबंध हैं. एक तरह से लालू, कांग्रेस के दूत के रूप में काम करने वाले हैं.
इंडिया गठबंधन में लालू बनेंगे दूत!: लेकिन इंडिया गठबंधन से पहले नीतीश और अमित शाह की बैठक पर भी सबकी नजर रहेंगी. क्योंकि यह बैठक इंडिया गठबंधन के भविष्य को भी तय कर सकता है. पांच राज्यों के चुनाव में तीन राज्यों में बीजेपी को जबरदस्त जीत मिली है. कांग्रेस की उम्मीद पर पानी फिर गया है.
घटक दलों की नाराजगी के बावजूद कांग्रेस के साथ लालू: कांग्रेस को केवल तेलंगाना में जीत हासिल हुई है, जिससे राहत जरूर मिली है. लेकिन जदयू, टीएमसी और सपा नेताओं की तरफ से जिस प्रकार से कांग्रेस पर निशाना साधा जा रहा है. इंडिया गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं. खटपट के बीच 6 दिसंबर को होने वाली बैठक भी रद्द हो चुकी है.
शाह-नीतीश की बैठक पर सभी की नजरें: अगली बैठक जल्द ही दिल्ली में होने जा रही है, लेकिन इंडिया गठबंधन की बैठक से पहले पटना में अमित शाह और नीतीश कुमार की बड़ी बैठक होने जा रही है. जदयू के नेता कह रहे हैं यह तो सरकारी बैठक है. इसका सियासत से कोई लेना-देना नहीं है. राजद के नेता भी फिलहाल इस पर कुछ बोल नहीं रहे हैं. लेकिन उनकी भी नजर बनी हुई है. नीतीश कुमार के ट्रैक रिकार्ड से लालू प्रसाद यादव और राजद खेमे में बेचैनी है. हालांकि दूसरी तरफ आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने कहा है कि, ''I.N.D.I.A (विपक्षी एकता) की बैठक 17 दिसंबर को होगी. इस बैठक में सभी आएंगे.''
"लालू प्रसाद यादव गार्जियन की भूमिका निभा रहे हैं. क्योंकि उन पर सबका विश्वास है. लालू प्रसाद यादव का सभी 26 दलों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं क्योंकि लालू प्रसाद यादव ने बीजेपी के खिलाफ हमेशा मोर्चा खोला है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता राजद
लालू कई बार कर चुके हैं राहुल गांधी की तारीफ: इन सब से अलग इंडिया गठबंधन को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव कांग्रेस के सपोर्ट में मजबूती से खड़े हैं. पहले भी राहुल गांधी की लालू प्रसाद यादव तारीफ करते रहे हैं. हाल के चुनावी नतीजों के बाद भी लालू यादव ने कहा था कि ''कांग्रेस कमजोर नहीं हुई है.''इस बयान के बाद ही लालू को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे.
इंडिया की एकजुटता में निभा सकते हैं अहम रोल:लालू प्रसाद यादव से नजदीकियां ममता बनर्जी की भी हैं और अखिलेश यादव की भी. झारखंड में तो हेमंत सोरेन के साथ राजद सरकार में भी है. ऐसे में आने वाले समय में कांग्रेस के दूत के रूप में भूमिका निभा सकते हैं. लालू, इंडिया गठबंधन की एकजुटता के लिए ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, स्टालिन, हेमंत सोरेन और नीतीश कुमार पर अपने प्रभाव के बूते जो कटुता बढ़ रही है उसे समाप्त करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का भी कहना है कि लालू की भूमिका अब महत्वपूर्ण होने वाली है क्योंकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी का लालू प्रसाद यादव पर भरोसा है.
"पटना की बैठक में भी लालू प्रसाद यादव ने राहुल गांधी की तारीफ की थी. बेंगलुरु और मुंबई की बैठक में भी राहुल गांधी की तारीफ करते रहे और नीतीश कुमार का नाम तक लालू प्रसाद यादव ने तीनों बैठक में नहीं लिया. यही नहीं राहुल गांधी ने लालू प्रसाद यादव से दिल्ली में उनके आवास पर जाकर भी राजनीति के गुर सीखने की कोशिश की थी."- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ