नई दिल्ली : असम सरकार ने हाल ही में आदिवासी और अन्य स्वदेशी समुदायों के लोगों की संस्कृति और प्रथाओं की रक्षा के लिए एक नए विभाग की स्थापना को मंजूरी दी है, क्योंकि मुख्य रूप से पश्चिमी और मध्य असम में राज्य के मूल निवासियों को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
असम अल्पसंख्यक विकास बोर्ड (एएमडीबी) के अध्यक्ष डॉ. सैयद मोमिनुल अव्वाल (Dr Syed Muminul Aowal) ने आरोप लगाया है कि जनसंख्या नीति आबादी को कम करने और परिवार के आकार को सीमित करने के लिए नहीं, बल्कि जनसंख्या संतुलन सुनिश्चित करने के लिए होनी चाहिए.
डॉ. अव्वाल ने ईटीवी भारत को बताया कि असम में वर्तमान में जनसंख्या में असमानता है.
उन्होंने कहा, असम में कई स्वदेशी समुदाय हैं, जिन्हें अपनी जनसंख्या को नियंत्रित करने के बजाय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए, हाजोंग (Hajong community) या देवरी आदिवासी समुदायों (Dewri tribal communities) को लें. हाजोंग समुदाय ने पिछले 150 वर्षों में कोई जनसंख्या वृद्धि नहीं देखी है. असम में इनकी संख्या एक लाख से भी कम है. वहीं, असम के 12 जिलों में फैले देवरी आदिवासी समुदाय की संख्या दो लाख से अधिक नहीं है. उनका आकार लगभग स्थिर है.
असम अल्पसंख्यक विकास बोर्ड की स्थापना 1985 में राज्य सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण और विकास विभाग के अंतर्गत की गई थी. इसका उद्देश्य आय सृजन, कौशल विकास और स्वरोजगार के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत असम के अल्पसंख्यक वर्गों को सशक्त बनाकर उनका उत्थान करना था.
एएमडीबी प्रमुख ने कहा कि बांग्लादेशी मूल के मुस्लिम मतदाताओं के प्रवास का एक पैटर्न देखा गया है, वे अतिरिक्त आबादी वाले निर्वाचन क्षेत्रों से आस-पास के क्षेत्रों में चले जाते हैं, जहां एक अतिरिक्त संख्या उनके पक्ष में चुनावी संतुलन को झुकाने में मदद करती है.
डॉ अव्वाल ने बारपेटा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली दो विधानसभा सीटों- जानिया और बाघबोर का उदाहरण दिया.
उन्होंने कहा, भले ही इन दो सीटों से 1.5 लाख मतदाता बाहर कर दिए जाएं, फिर भी बांग्लादेशी मूल के मुस्लिम उम्मीदवार इन दो सीटों से जीतेंगे. अतिरिक्त मतदाता अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में चले जाते हैं. इसी तरह का मामला- गोवालपारा पूर्व और रूपोही सीट का है, भले ही बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मूल के मुस्लिम मतदाता इन सीटों से पलायन करते हों, फिर भी विजेता उनके समुदायों से होगा.