नई दिल्ली: राज्यसभा में सोमवार को कांग्रेस के सदस्य विवेक तन्खा ने जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्यायार और उनके पलायन की घटनाओं की जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने विस्थापित कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों को जम्मू कश्मीर विधानसभा में मनोनयन के लिए प्रावधान करने का सुझाव दिया.
जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पर उच्च सदन में हुई चर्चा में भाग लेते हुए विवेक तन्खा ने कहा, 'जम्मू कश्मीर हमारा था, हमारा है और हमारा रहेगा.'
उन्होंने कहा कि आज उच्चतम न्यायालय ने जो निर्णय दिया है वह जम्मू कश्मीर के लोगों की जीत है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में संसद द्वारा किए गये फैसलों को सही ठहराया है.
तन्खा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने और 2024 के अंत तक चुनाव कराने को कहा है. उन्होंने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री ने कहा था कि अनुच्छेद 370 संविधान का एक अस्थायी प्रावधान है. उच्चतम न्यायालय ने आज अपने एक निर्णय में जम्मू कश्मीर के संबंध में अनुच्छेद 370 को हटाने संबंधी संसद के निर्णय को उचित ठहराया.
तन्खा ने चार जून 1948 के सरदार वल्लभभाई पटेल के एक पत्र का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि उस समय भारतीय सेना पर अत्यधिक दबाव नहीं डाला जा सकता था. उन्होंने कहा कि 1947 में पाकिस्तान के साथ सैन्य कार्रवाई को रोकने का निर्णय उस मंत्रिमंडल का था जिसमें पटेल, बी आर अंबेडकर जैसे लोग शामिल थे इसलिए किसी एक व्यक्ति को सार्वजनिक तौर पर गलत ठहराना उचित नहीं है.
कांग्रेस सदस्य ने कहा, 'कोई भी दोषारोपण करना, वो भी किसी ऐसे व्यक्ति पर जिन्हें हमें श्रद्धांजलि देते हैं, मुझे उचित नहीं लगता. गलतियां सामूहिक रूप या व्यक्तिगत रूप से किसी से भी हो सकती हैं किंतु 40 साल बाद दोषारोपण से हम आहत होते हैं...'
उन्होंने कहा, 'हमे अपने विगत और अपने नेताओं का सम्मान करना चाहिए.' तन्खा ने कहा कि विधेयक में ऐसे विस्थापित कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों को जम्मू कश्मीर विधानसभा में मनोनीत करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है जबकि पाक अधिकृत कश्मीर से विस्थापित हुए लोगों के लिए ऐसा प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए विधेयक में प्रावधान नहीं होना, दुखद है.