देहरादून (उत्तराखंड) वन अनुसंधान संस्थान देहरादून (FRI) में संयुक्त राष्ट्र फोरम ऑन फॉरेस्ट की ओर से कंट्री लेड इनिशिएटिव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इसमें आज उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शिरकत की. जबकि, पहले दिन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ऑनलाइन जुड़े. एफआरआई में आयोजित कार्यक्रम में कई देशों के वन एवं पर्यावरण से जुड़े जानकार और कई बड़े अधिकारी आए हैं. कार्यक्रम में किस तरह से वनों और पर्यावरण को बचाया जाए, इसको लेकर चर्चा हुई है.
यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र फोरम (United Nations Forum) की ओर से आयोजित किया गया है, जो बीती 26 अक्टूबर से शुरू हुआ और 28 अक्टूबर तक चलेगा. वन अनुसंधान संगठनों का अंतरराष्ट्रीय संघ (IUFRO) के साथ भारत के प्रतिनिधियों और संगठनों समेत 40 देशों एवं 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 80 से ज्यादा प्रतिनिधि इसमें हिस्सा ले रहे हैं.
उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं में कमी लाने के लिए वन क्षेत्र के करीब रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाने पर जोर दिया जा रहा है. इन समुदायों को वन विभाग के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करने को लेकर रणनीति बनाई गई है, जिस पर सफलता भी मिली है.
उन्होंने कहा कि वन निगरानी की एक व्यवस्था होने के नाते वन प्रमाणन भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है. यह वैश्विक वन लक्ष्यों के अंतर्गत विशेष ध्यान का केंद्र बिंदु है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पारंपरिक ज्ञान, प्रौद्योगिकी नवाचार और सामुदायिक भागीदारी के तौर तरीकों के बारे में विचारों के आदान प्रदान से सभी को लाभ होगा.
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यूएनएफएफ की निदेशक जूलियट बियाओ कौडेनौकपो ने कहा कि फॉरेस्ट फायर का मुद्दा वैश्विक चिंता के रूप में गंभीर होता जा रहा है. इकोसिस्टम और समुदायों पर इसका हानिकारक प्रभाव इस समस्या के समाधान की कार्रवाई को अनिवार्य बनाता है. सीएलआई के लिए दूसरा विषय वन प्रमाणन है, जो लंबे समय से चला आ रहा है. ये दोनों मुद्दे चर्चा के स्थायी और अहम विषय रहे हैं. इनका व्यावहारिक समाधान करना समय के साथ जरूरी है.
उनका कहना है कि जंगल की आग जैव विविधता, इकोसिस्टम, मानव कल्याण, आजीविका और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालती है. हाल के सालों में जंगलों की आग की घटनाओं में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. ऐसे में इसकी रोकथाम, इसके प्रभावों को कम करने और प्रभावित भूमि की बहाली पर स्थानीय, क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के साथ कार्रवाई बढ़ाने की आवश्यकता है.
हाल के सालों में वन प्रमाणीकरण पर लगातार वैश्विक ध्यान बढ़ रहा है. साल 2020 और 2021 के बीच प्रमाणित वन क्षेत्र में 27 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हुई है, जिसमें मुख्य भूमिका यूरोप और उत्तरी अमेरिका की रही है. हालांकि, विकासशील देशों और सीमांत वन प्रबंधकों को प्रमाणन प्रक्रिया में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इस फोरम का उद्देश्य इन पहलुओं और व्यापार नियमों के साथ प्रमाणन प्रणालियों को संयोजित करने के पहलू पर चर्चा करना है. ताकि, इसके लिए एक मंच मिल सके.